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चंद्र की दृष्टि के फलस्वरूप वह कुशल प्रशासक बनता है। मंगल की दृष्टि का फल सामान्य होता है। गुरु की दृष्टि उसे बुद्धिमान और धनी बनाती है।
शुक्र की दृष्टि पारिवारिक जीवन के लिए ठीक नहीं है। पत्नी से सदैव ही विवाद बना रहता है। रसायन शास्त्र में जातक की रुचि होती है।
शनि की दृष्टि का फल शुभ होता है। व्यक्ति उदार होता है और जीवन में उसे अनायास, अपेक्षित सहायता मिलती रहती है।
आर्द्रा के विभिन्न चरणों में गुरु की स्थिति
आर्द्रा के विभिन्न चरणों में गुरु की स्थिति शुभ फल देती है। व्यक्ति समाज का नेता या मंत्री तक बन सकता है।
प्रथम चरणः यहाँ गुरु कलात्मक अभिरुचियां पैदा करता है। व्यक्ति कला संबंधी विषयों का ज्ञाता और शिक्षक होता है।
द्वितीय चरण: यहाँ गुरु उच्च पद पर आसीन करवाता है। वह विभाग-प्रमुख या मंत्री तक बन सकता है।
तृतीय चरण: यहाँ गुरु विशेष फल नहीं देता। चतुर्थ चरण: यहाँ गुरु लाखों में एक बनाता है।
आर्द्रा स्थित गुरु या विभिन्न ग्रहों की दृष्टि
सूर्य की दृष्टि धन-धान्य और अच्छी पत्नी, अच्छी संतान का सुख देती है।
चंद्र की दृष्टि उसे समाज में प्रमुख पद दिलाती है।
मंगल की दृष्टि के फलस्वरूप उसे वायु सेना में अवसर मिलता है। वह मोटर गाड़ियों संबंधी कार्य में जुट सकता है।
बुध की दृष्टि गणितज्ञ और ज्योतिष बनाती है।
शुक्र की दृष्टि के फलस्वरूप जातक धनी तो बनता है, पर अपने धन का उपयोग नहीं कर पाता।
शनि की दृष्टि का फल अच्छा होता है। जातक धनी-मानी होता है। पत्नी अच्छी होती है। संतान भी अच्छी होती है। व्यक्ति लाखों में एक माना जाता है।
आर्द्रा के विभिन्न चरणों में शुक्र की स्थिति
आर्द्रा के विभिन्न चरणों में शुक्र प्रायः शुभ फल देता है। प्रथम चरणः यहाँ शुक्र वैज्ञानिक विषयों का ज्ञाता बनाता है। स्त्रियों
ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 98 .
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