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वीर निर्वाण संवत् और जैन काल-गणना
'विद्याधर कुल' बात एक ही होगी, क्योंकि इन दोनों नामों की उत्पत्ति 'विद्याधरी' शाखा से है । इस दशा में आचार्य स्कंदिल के संबंध में यह कहा जाय कि 'वे विद्याधरी शाखा के स्थविर थे' तो कुछ भी अनुचित नहीं है ।
आचार्य मलयगिरिजी नंदीटीका में स्कंदिलाचार्य को सिंहवाचकसूरिशिष्य लिखते हैं-(तान् स्कंदिलाचार्यान् सिंहवाचकसूरिशिष्यान्) परंतु हम इस विषय में इस उल्लेख पर ज्यादा जोर नहीं दे सकते, क्योंकि मलयगिरिजी का उक्त उल्लेख नंदी की स्थविरावली को देवर्धिगणि की गुरुपरंपरा समझ लेने का परिणाम मात्र है। हम आगे किसी प्रसंग पर इस बात को स्पष्ट करके बताएँगे कि नंदी की स्थविरावली देवधि की गुरुपरंपरा नहीं किंतु युगप्रधान-पट्टावली है । इसलिये स्कंदिल को सिंहसूरि का शिष्य मानने के लिये हम इस उल्लेख मात्र से तैयार नहीं हो सकते हैं । '
दूसरी बात यह भी है कि नंदी की थेरावली में ही इन सिंहवाचक को 'ब्रह्मद्वीपक' कहा है, इससे यह बात तो निर्विवाद है कि ये सिंहसूरि 'ब्रह्मद्वीपिका' शाखा के स्थविर थे । स्कंदिलाचार्य विद्याधरी शाखा की परंपरा के स्थविर थे यह बात पहले ही कह दी गई है, इसलिये स्कंदिल को सिंहसूरि का शिष्य मानना संशय-रहित नहीं होगा ।
पूर्वोक्त प्रभावक चरित्र के उल्लेख में स्कंदिलाचार्य का पादलिप्त के कुल में होना लिखा है, इससे यह बात तो निश्चित है कि इनका सत्ता समय पादलिप्त का पिछला समय ही हो सकता है।
प्रभावकचरित्र आदि ग्रंथों के कथन से जाना जाता है कि पादलिप्त सूरि विक्रम की प्रथम शताब्दी के व्यक्ति होने चाहिएँ, क्योंकि वे खपटाचार्य के विद्यार्थी थे और उन्हीं ग्रंथों के अनुसार खपाचार्य का स्वर्गवास वीर निर्वाण सं० ४८४ में हुआ था । 'पादलिप्त के कुल में स्कंदिल हुए' इस उक्ति से तात्पर्य यह निकलता है कि पादलिप्त के पीछे उनकी परंपरा में स्कंदिल हुए, पर वे कितने अंतर पर हुए इसका खुलासा उक्त उल्लेख से नहीं हो सकता ।
आचार्य मेरुतुंग की विचारश्रेणी में इस विषय में नीचे लिखे अनुसार उल्लेख है"श्रीविक्रमात् ११४ वर्वज्रस्वामी, तदनु २३९ वर्षेः स्कन्दिलः ।" ।
अर्थात्-'विक्रम से ११४ वर्ष में वज्रस्वामी (स्वर्गवासी हुए)) और उनके बाद २३९ वर्ष व्यतीत होने पर स्कंदिलाचार्य हुए ।'
इस हिसाब से आचार्य स्कंदिल का समय विक्रम संवत् ३५३ में आता हैं, पर हम देखते हैं कि इस गणना में ३ वर्ष की स्पष्ट भूल है । आचार्य मेरुतुंग ने इस
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