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मूढ़ता
आधि से व्याधि का निदान
वर्तमान युग की सबसे बड़ी चिंता है-मनोविकार, आधि, मानसिक रोग | शारीरिक व्याधियां होती हैं । मनुष्य उनके लिए चिंता भी करता है
और उनसे छुटकारा पाने का प्रयत्न भी करता है । जब शरीर में कोई व्याधि होती है तब हमारा ध्यान शरीर की ओर जाता है । कोई दोष हुआ है; वात, पित्त या कफ कुपित हुआ है, कोई विजातीय तत्त्व संचित हो गया है या शरीर में कीटाणु प्रविष्ट हो गये हैं, जिससे शरीर में व्याधि हुई है । शरीर की व्याधि का मूल शरीर में ही खोजा जाता है, शरीर की प्रकृति में, शरीर के दोषों में या शरीर पर होने वाले बाहरी संक्रमणों में । किंतु शरीर की व्याधि का जो एक मूल है, उस ओर हमारा ध्यान बहुत कम जाता है । वह है आधि, मानसिक विकृति । शरीर की बीमारी को व्याधि और मानसिक बीमारी को आधि कहते हैं । व्याधि जब होती है तब हमारा ध्यान जाना चाहिए, सबसे पहले आधि पर, विकृति पर | शरीर में कोई व्याधि उत्पन्न हो तब अध्यात्म की साधना करने वाले व्यक्ति को सबसे पहले इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि कहां मेरी भूल हुई है ? कहां मन में कोई विकार आया है ? कौन सी आधि हुई है जिससे मैं शरीर की व्याधि भुगत रहा हूं ? केवल अध्यात्म की साधना करने वाले व्यक्ति के लिए ही नहीं, हर बीमार होने वाले व्यक्ति के
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