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________________ प्राकृत एवं जैनविद्या : शोध-सन्दर्भ 85 363. डे, कुन्दोरानी राजस्थानी और हिन्दी की जैन प्रबन्ध रचनायें (सं० 1540 से 1700 तक) राजस्थान, ....... अप्रकाशित नि०- डा० गंगाराम गर्ग, भरतपुर वृषभान कुमारी उच्च माध्यामिक विद्यालय, भरतपुर (राज०) 364. पारीख, श्रीममर्तोलेश कुमारी राजस्थानी फाग साहित्य और उसका सांस्कृतिक महत्त्व राजस्थान, ............ अप्रकाशित 365. पुरोहित, बद्रीनाथ (ब्र जनारायण) तेरहपंथी जैन श्वेताम्बर सम्प्रदाय का राजस्थानी और हिन्दी साहित्य राजस्थान, 1970, अप्रकाशित 366. भानावत, नरेन्द्र (स्व०) राजस्थानी वेलि साहित्य राजस्थान, 1962, प्रकाशित नि०-- श्री नरोत्तम दास स्वामी प्रका०- राजस्थान साहित्य अकादमी [संगम]. उदयपुर (राज०) प्रथम : 1965/21.00/524 अ०- (1) वेलिसाहित्य की परम्परा और विकास, (2) वेलिनाम, (3) राजस्थानी वेलि साहित्य का वर्गीकरण, (4) चारणी वेलि साहित्य : ऐतिहासिक, (5) चारणी वेलि साहित्य : धार्मिक-पौराणिक, (6) जैन वेलि साहित्य : ऐतिहासिक, (7) जैन वेलि साहित्य : कथात्मक, (8) जैन वेलि साहित्य : उपदेशात्मक, (9) लौकिक वेलि साहित्य। 367. रंगाटिया, सनतकुमार चुन्नीलाल जैन रास साहित्य : पन्द्रहवीं शती तक गुजरात, 1963, अप्रकाशित नि०- डा गोवर्धन शर्मा हि० वि०, आर्ट्स एण्ड कॉमर्स कॉलेज, कपड़गंज, अहमदाबाद (गुजरात) 368. शर्मा, बसन्तलाल अठारहवीं शताब्दी का राजस्थानी जैन साहित्य राजस्थान, 1968, अप्रकाशित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002731
Book TitlePrakrit evam Jainvidya Shodh Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherKailashchandra Jain Smruti Nyas
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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