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Bibliography of Prakrit and Jaina Research
1011. Jain, Jagadish Chandra (Late)
Life in Ancient India as depicted in Jaina Agamas. Mumbai, 1944, Published. ('जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज' नाम से हिन्दी अनुवाद भी प्रकाशित) प्रका०- चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी-1 प्रथम : 1965/80.00/20 + 620 अ०- (1) प्रास्ताविक : जैन धर्म का इतिहास, (2) जैन आगम और उनकी टीकायें, (3) केन्द्रीय शासन-व्यवस्था, (4) न्याय-व्यवस्था, (5) अपराध और दण्ड, (6) सैन्य-व्यवस्था, (7) राजकर-व्यवस्था, (8) स्थानीय शासन, (७) उत्पादन, (10) विभाजन, (11) विनिमय, (12) उपभोग, (13) सामाजिक संगठन, (14) कुटुम्ब, परिवार, (15) स्त्रियों की शिक्षा, (16) शिक्षा और विद्याभ्यास, (17) कला और विज्ञान, (18) रीति-रिवाज, (19) श्रमण सम्प्रदाय, (20) लौकिक
देवी देवता, (21) परिशिष्ट। (विशेष- डा. जगदीश चन्द्र जैन की विशिष्ट साहित्यिक सेवाओं के सन्दर्भ में भारत सरकार ने उन पर दि० 28 जनवरी 1998 को दो रू० मूल्य का डाक टिकट जारी किया है)
1012. Jain, Poornima
Religious Sects and Social Development with special Emphasis On Jains, christians and sikkhas Sects in Agra City': A Socialogical analysis J.N.U., 1996, Unpublished. Sup.- Prof. Yogendra Singh, Center for the study of social systems J.N.U., New Delhi Dept. of Sociology, Dayalbagh, Institute of Education, Agra
1013. Jain, Renu
Ethinicty in Plural Societies with special reference to Jain Oswals in Kolkata.
Kolkata, 1991, Published. 1014. जैन, सन्ध्या
(लघु प्रबन्ध) गंजवासौदा के जैन समाज में विवाह : समाजशास्त्रीय अध्ययन . भोपाल, 1985, अप्रकाशित
(M.Phill)
1015. Jain, Sushila
Sociology of Jaina Temple Goaras Rajasthan, 1969,Unpublished.
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