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________________ प्राकृत एवं जैनविद्या : शोध-सन्दर्भ 177 'हिन्दी साहित्य की सन्त काव्य परम्परा के परिप्रेक्ष्य में आचार्य विद्यासागर के कृतित्व का अनुशीलन' नाम से प्रकाशित प्रका०- श्री निर्ग्रन्थ साहित्य प्रकाशन समिति, पी० 4, कलाकार स्ट्रीट कोलकाता-700007 प्रथम : 1998/45.00/22 + 254 अ०- (1) सन्त काव्य की पृष्ठभूमि और आचार्य विद्यासागर, (2) आचार्य विद्यासागर : व्यक्तित्व और जीवन-सूत्र, (3) आचार्य विद्यासागर : परिचयात्मक पृष्ठभूमि, (4) हिन्दी सन्त काव्य के सन्दर्भ में आचार्य विद्यासागर के कृतित्व का अनुशीलन, (5) प्रमुख सन्त कवियों के साहित्य की भावभूमि और आचार्य विद्यासागर के रचना संसार के विविध आयाम, (6) आचार्य विद्यासागर के कृतित्व का कलापक्ष की दृष्टि से अनुशीलन, (7) आचार्य विद्यासागर की स्फुट एवं अप्रकाशित कृतियां : एक अनुशीलन, (8) समकालीन समाज को आचार्य विद्यासागर द्वारा सामाजिक और धार्मिक उत्थान की दृष्टि से योगदान, (9) उपसंहार। 958. जैन, बिहारीलाल भट्टारक सकलकीर्ति : एक अध्ययन उदयपुर, 1975, अप्रकाशित 959. जैन, भारती (श्रीमती) आचार्य अमृतचन्द्र सूरि : व्यक्तित्व एवं कृतित्व सागर, 1989, अप्रकाशित नि०- डा० भागचन्द भागेन्दु, दमोह (म०प्र०) W/o श्री विनोद कुमार जैन इन्जीनियर, 175 EWS पटेलनगर कॉलोनी, मण्डीदीप, (भोपाल) म०प्र० 960. जैन, महावीर प्रसाद डा० हुकुम चंद भारिल्ल : व्यक्तित्व एवं कृतित्व उदयपुर, 2001, अप्रकाशित निक- डा० पृथ्वीराज मालीवाल, हिन्दी विभाग, सुखाडिया वि० वि०, उदयपुर (राज०) 961. जैन, माया (श्रीमती) आचार्य विद्यासागर : व्यक्तित्व एवं काव्यकला उदयपुर, 1996, अप्रकाशित नि०- डा० पृथ्वीराज मालीवाल, हिन्दी विभाग, उदयपुर W/o डा० उदयचंद जैन, पिउ कुंज, उदयपुर (राज०) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002731
Book TitlePrakrit evam Jainvidya Shodh Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherKailashchandra Jain Smruti Nyas
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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