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________________ प्राकृत एवं जैनविद्या : शोध - सन्दर्भ 822. Sharma, I. C. Terapanthi Sect of Jinas belonging to Shvetambara School Rajasthan, 1959, Unpublished. 823. Sharma, Shanta R. Social and Cultural Patterns in Rajasthan. A. D. 700-900, as Depicted in Contemporary Prakrit Works. Delhi, 1993, Unpublished. 824. Shah, C. K. (Chimanlal Jaichand) Jainism in North India. Mumbai, 1931, Published. Sup. - H. Hetaz (हिन्दी अनुवाद 'उत्तर भारत में जैन धर्म' नाम से जोधपुर से प्रकाशित) प्रका०-- सेवा मंदिर रावटी, जोधपुर - 342024 प्रथम : 1990/.. ../230 अ०- (1) महावीर पूर्वोत्तर जैन धर्म, (2) महावीर और उनका समय (3) राज्यवंशी कुटुम्बों में जैन धर्म (4) कलिंग देश में जैन धर्म, ( 5 ) मथुरा के शिलालेख, (6) गुप्तकाल में जैनधर्म की स्थिति, ( 7 ) उत्तर का जैन साहित्य, (8) उत्तर में जैन कला । 825 शिवप्रसाद 155 विविध तीर्थकल्प के परिप्रेक्ष्य में जैन तीर्थों का अध्ययन वाराणसी, 1984 प्रकाशित शोध सहायक, पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, आई० टी० आई० रोड, बी० एच० यू०, वाराणसी ( उ०प्र०) 221005 'जैन तीर्थों का ऐतिहासिक अध्ययन' नाम से प्रकाशित प्रका० - पा० शो०, वाराणसी प्रथम : 1991 / 100.00/ 28 + 336 अ०- (1) विषय प्रवेश, ( 2 ) ग्रन्थकार और ग्रन्थ परिचय, ( 3 ) जैनधर्म का प्रसार : ऐतिहासिक सर्वेक्षण, (4) तीर्थों का विभाजन, (5) उत्तर भारत के जैन तीर्थ, (6) पूर्व भारत, ( 7 ) मध्य भारत, ( 8 ) पश्चिम भारत, (9) दक्षिण भारत । 826. शुक्ल, संजीवन हरिभद्रसूरिकालीन भारत लखनऊ, 1988, प्रकाशित नि०- डा० श्याम मनोहर मिश्र इतिहास विभाग, एम० पी० महाविद्यालय, कोंच ( जालोन) उ०प्र० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002731
Book TitlePrakrit evam Jainvidya Shodh Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherKailashchandra Jain Smruti Nyas
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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