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प्राकृत एवं जैनविद्या : शोध-सन्दर्भ
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प्राचार्य, गणेश वर्णी संस्कृत महाविद्यालय, मोराजी, सागर (म०प्र०) 'जैन पूजा-काव्य : एक चिन्तन' नाम से प्रकाशित प्रका०- भा० ज्ञा०, नई दिल्ली प्रथम : 2003/180.00/400 अ०- (1) जैन पूजा काव्य का उद्भव और विकास (2) जैन पूजा काव्य के विविध रूप (3) संस्कृत और प्राकृत जैन पूजा काव्यों में छन्द, रस, अलंकार (4) हिन्दी पूजा काव्यों में छन्द, रस, अलंकार (5) जैन पूजा काव्यों में रत्नत्रय (6) संस्कार
(7) पर्व (8) तीर्थ क्षेत्र (9) जैन पूजा काव्यों का महत्त्व। 751. सिसोदिया, सुरेश
जैन धर्म के प्रमुख सम्प्रदायों की दर्शन तथा आचार समानताओं और असमानताओं का तुलनात्मक अध्ययन उदयपुर, 1994, अप्रकाशित
नि०- डा० एस० आर० व्यास 752. सिंह, चन्द्र लेखा
जैन धर्म में श्रावकाचार और श्रमणाचार
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टीकाकार अपराजित सूरि : व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व (जैन श्रावकाचार साहित्य के परिप्रेक्ष्य में) बरेली, 1999, अप्रकाशित नि०- डा० रमेश चंद जैन, बिजनौर
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Jain Concept of Dana...... Gujrat (L.D. Institute), ......... Sup.--Dr. J.B. Shah
जैन इतिहास, संस्कृति, कला एवं पुरातत्त्व JAINA HISTORY, CULTURE, ART AND ARCHAEOLOGY
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