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प्राकृत एवं जैनविद्या : शोध-सन्दर्भ
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711. घट्ट, सुरेखा
संस्कृत तथा प्राकृत साहित्य में तपश्चरण भोपाल, .............., अप्रकाशित
712. Chavda,Rupaben (Kumari)
Jain Dharma in Trishashti Shalaka Purusha Charitra Gujrat (L.D. Institute), 1995,.... Sup.- Pt. D. D. Malvania
713.
......
714. जैन, आराधना
(लघु शोध प्रबन्ध) रत्नकरण्डश्रावकाचार में प्रतिपादित श्रावक धर्म और मोक्षमार्ग में उसका स्थान
भोपाल, 1982, अप्रकाशित 715. जैन, उर्मिला (श्रीमती)
प्राकृत एवं संस्कृत साहित्य में अनुप्रेक्षा : एक आलोचनात्मक परिशीलन मेरठ, 1993, अप्रकाशित (टंकित) नि०- डा० श्रीकांत पाण्डेय अ०- (1) अनुप्रेक्षा-सामान्य परिचय (2) जैन साहित्य में अनुप्रेक्षा (3) अनित्य एवं अशरण अनुप्रेक्षा (4) संसार अनुप्रेक्षा (5) एकत्व, अन्यत्व एवं अशुचि अनुप्रेक्षा (6) आश्रव, संवर एवं निर्जरा अनुप्रेक्षा (7) लोक अनुप्रेक्षा (8) बोधि दुर्लभ एवं धर्म
अनुप्रेक्षा (9) उपसंहार। 716. जैन, गुलाबचन्द्र
आराधनायाः विश्लेषणात्मकमध्ययनम् (संस्कृत)
सम्पूर्णानन्द, 1983, अप्रकाशित 717. जैन, प्रतिभा
हिन्दू और जैन नैतिक आदर्शों का समालोचनात्मक अध्ययन
रांची, 1981, अप्रकाशित 718. जैन, फूलचन्द
मूलाचार का समीक्षात्मक अध्ययन वाराणसी, 1977, प्रकाशित श्रमण विद्या संकाय, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी (उ०प्र०) प्रका०- पा० शो०, वाराणसी प्रथम : 1987/60.00/16 + 543 अ०- (1) प्रास्ताविक, (2) मूलगुण, (3) उत्तरगुण, (4) आहार, विहार और व्यवहार, (5) श्रमण संघ, (6) जैन सिद्धान्त। ..
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