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प्राकृत एवं जैनविद्या : शोध-सन्दर्भ
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The Jaina Conception of Atman Guirat (L.D. Institute). 1985...............
Sup.- Dr. N.J. Shah 650. श्रीमाल, पूर्णिमा
प्रशमरति और उमास्वाति का एक समीक्षात्मक-वैज्ञानिक अध्ययन
राजस्थान, 1980, अप्रकाशित 651. साध्वी, ज्ञान प्रभा जी
जैन दर्शन में जीव तत्त्व
पूना, 1991, अप्रकाशित 652. साध्वी, दर्शनलता जैन
ज्ञानार्णव एक समीक्षात्मक अध्ययन राजस्थान, ......., अप्रकाशित
नि०- डा० शीतल चन्द जैन, जयपुर (राज०) 653. साध्वी, दिव्यप्रभा
'अरिहन्त' विचार का तुलनात्मक अध्ययन विक्रम, 1983, प्रकाशित नि०- डा० बी० बी० रायनाडे 'अरिहन्त' नाम से प्रकाशित प्रका०- प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर (राज०) द्वितीय : 1995/100.00/32 + 295 अ०- (1) अरिहन्त का तत्त्वबोध, (2) अरिहन्त की आवश्यकता, वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में, (3) अरिहन्त परमध्येय, (4) आराधक से आराध्य, (5) कल्याणक, (6) जन्म कल्याणक, (7) प्रव्रज्या कल्याणक, (8) केवल ज्ञान कल्याणक, (७) निर्वाण
कल्याणक। 654. साध्वी, धर्मशीला
संस्कृत जैन साहित्य में उल्लिखित जैन नवतत्त्व पूना, 1978, अप्रकाशित
नि०- डा० जी० जोशी 655. साध्वी, प्रमोद कुंवर (जैन, विमला)
ऋषिभाषित का दार्शनिक अध्ययन वाराणसी, 1992, अप्रकाशित नि०- डा० यू० पी० दूबे
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