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________________ 120 Bibliography of Prakrit and Jaina Research 585. जैन, शीतलचन्द विद्यानन्दस्य दर्शनम् : एकाध्ययनम् (संस्कृत) सम्पूर्णानन्द, 1980, अप्रकाशित प्राचार्य, आचार्य संस्कृत महाविद्यालय, मनिहारों का रास्ता, जयपुर (राज०) 586. जैन, शोभालाल आचार्यविद्यानन्दविरचितायाः आप्तपरीक्षायाः दार्शनिक विवेचनं (संस्कृत) राजस्थान, 1990, अप्रकाशित नि०- डा० शीतलचन्द जैन, जयपुर 587. जैन, सनमत कुमार पूज्यपाद कृत सर्वार्थसिद्धि का समालोचनात्मक अध्ययन कुरुक्षेत्र, 1981, अप्रकाशित 588. जैन, सीमा सर्वार्थसिद्धि का दार्शनिक परिशीलन बरेली, 1994, प्रकाशित नि०- डा० जी० एस० गुप्ता प्रका०- आ० ज्ञा० केन्द्र, व्याबार (राज०) प्रथम : ........../50.00/336 अ०-- (1) सर्वार्थसिद्धि के कर्ता- आचार्य पूज्यपाद, (2) सम्यग्दर्शन का स्वरूप, (3) सम्यग्ज्ञान का स्वरूप, (4) जीव निरूपण, (5) लोक निरूपण, (6) अजीव निरूपण, (7) आम्रव और बन्ध तत्त्व, (8) एकदेश चारित्र, (७) सर्वदेश चारित्र के धारक-अनगार अथवा मुनि, (10) मोक्ष, (11) आचार्य पूज्यपाद का लक्षण व व्युत्पत्तिपरक दृष्टिकोण, (12) सर्वार्थसिद्धि का महत्त्व। 589. जैन, सुखनन्दन (स्व०) जैन दर्शन में नयवाद मेरठ, 1977. अप्रकाशित 590. जैन, सुनीता (कु०) जैन धर्म में मार्गणा स्थान जबलपुर, 2003, अप्रकाशित नि०- डा० आर० एस० त्रिवेदी, दु० वि०वि०, जबलपुर 591. जैन, सुषमा जैन न्याय सम्मत स्मृति प्रत्यभिज्ञा तथा तर्क प्रमाणों का अनुशीलन सागर, 1991, अप्रकाशित नि०- डा० गणेशीलाल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002731
Book TitlePrakrit evam Jainvidya Shodh Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherKailashchandra Jain Smruti Nyas
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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