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________________ ४०७ -६२. २. १२] महाकवि पुष्पदन्त विरचित घत्ता-दिज्जइ सालंकारहं ताहं सहस्सु दीणारहं॥ एह वत्त णिसुणेप्पिणु अवर वि पक्खि लएप्पिणु ॥ १॥ कुलिसाणणु कुक्कडु कंचणिय अक्खइ सुमइहि घरकामिणिय । गरुडेण वि जिप्पइ एहु ण वि उडुतहु संकइ गयणि रवि । ता हरिसे वाइय जयवडह खंजय णञ्चंति लडहमडह । तहिं आया घणरह मेहरह दढरह वरसेण णंदि सुमेह । पियमित्तसुमइकरयलपुसिय चिरजम्मणिबद्धर्वइरिवसिय । जुझंति पक्खि ते पबलबल चंचेलचंचुचरणारचल। उल्ललणवलणपरियत्तणहिं पेहुणसिरसिहरवियत्तणहिं । रोसुद्धयकंधरकेसरय जं केवै वि ण ओसरंति सरय । तं ताएं पुच्छिउ मेहरहु संबोहहुं भव्वजीवणिवहु । किं तंबचूल जुज्झंति सुय भणु अवहिवंत सग्गग्गचुय । पत्ता-कहइ कुमारु सुहावइ एत्थु दीवि अइरावइ ।। सयडजीवि तिट्ठावर रयणउरइ णर भायर ।।२।। घत्ता-उसे अलंकारों सहित एक हजार दीनारें दी जायेंगी।" यह बात सुनकर दूसरी भी ( सुमतिकी दासी कांचना ) अपना पक्षी ( मुर्गा ) ॥१॥ anwar वज्रतुण्ड लेकर सुमति को गृहदासी बोली कि यह गरुड़के द्वारा भी नहीं जीता जा सकता। उड़ते हुए इससे प्राकाशमें सूर्य शंकित हो उठता है । तब हर्षसे विजयके नगाड़े बजा दिये गये, सुन्दर वामन कुब्जक नाचने लगे। वहांपर धनरथ, मेघरथ, दृढ़रथ, वरसेन और तेजस्वी नन्दिवर्धन आये। प्रियमित्रा और सुमतिके हाथोंसे पोसे गये तथा पूर्वजन्ममें बांधे गये वैरके वशीभूत होकर प्रबल बलवाले तथा अपनी वक्र चोंचों और पैरोंसे चंचल वे दोनों मुर्गे उछलना, मुड़ना, घूमना तथा पूंछसे सिरके शेखरको घुमाना आदिसे युद्ध करने लगे। क्रोधसे कांपते हुए कन्धों और केशरक ( सिरके बाल ) वाले और चिल्लाते हुए जब वे मुर्गे नहीं हटे तो पिताने मेघरथसे भव्यजीवोंके सम्बोधनके लिए पूछा, "हे पुत्र, ये मुर्गे क्यों लड़ते हैं। हे स्वर्गसे च्युत अवधिज्ञानवाले तुम बताओ।" घत्ता-कुमार बताता है यहां इस जम्बूद्वीपमें सुखास्पद ऐरावत क्षेत्र है। उसके रत्नपुर नगरमें गाड़ीसे अपनी आजीविका चलानेवाले दो लालची भाई रहते थे ॥२॥ ४. A सहासु । ५. AP अवरु । २. १. Pघरि कामिणिय । २. AP कुज्जय। ३. A णंदिपमुह । ४. AP वइररसिय । ५. A चरणा चवल । ६. AP केम वि णोसरंति । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002724
Book TitleMahapurana Part 3
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1981
Total Pages574
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mythology, & Story
File Size12 MB
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