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________________ ३८८ महापुराण [ ६१. २. २०चंदणवणंतम्मि णंदणमुणी जम्मि । २० णिम्मुक्ककम्मम्मि पेईस रिवि लहु तम्मि । घत्ता-अहिसिंचिवि पुजिवि परमजिणु वंदिवि भत्तिस मैग्यविउ ।।। आहारु सरीरु वि परिहरिवि बिहिं मि परत्तु जि चिंतविउं ॥२॥ जं णियपरपेसणसुणिरवेक्खु जं धोरसरायकसायसमणु तेरहमइ कप्पि मणोहिरामि हुउ अमियतेउ रविचूलु देउ मणिचूलु णामु सिरिविजउ तेत्थु को वण्णइ ताहं महापहाउ कालेण जंबुदीवंतरालि वच्छावइदेसि पहायरीहि णीसेसकलाल उ मणुययंदु तहु देवि हि देउ वसुंधरीहि आवेप्पिणु णंदावत्तणाहु जं णिण्णासियभवबंधदुक्खु । तं कयउं तेहिं पाओवमरणु । सुरणंदिय गंदावत्तधामि । सत्थिउ णामें अवरु वि णिकेउ । सुरवरु जायउ लक्खणपसत्थु । ते बे वि वीससायरसमाउ | इह पुत्वविदेह रमाविसालि । णयरिहि वणकीलियकिंणरीहि । णामेण थिमियसायरु णरिंदु । रविचूलु गम्भि थिउ सुंदरीहि । अवराइउ हुउ थिरथोरबाहु । १० कुलमार्गमें ( राजगद्दी ) पर स्थापित कर, जिस चन्दनवनमें नन्दनमुनि थे उसमें प्रवेश कर, निर्मुक्तकर्म उसके पास शीघ्र घत्ता-भक्तिसे प्राप्य जिन भगवान्का अभिषेक, पूजा और वन्दना कर, आहार और शरीरका त्याग कर दोनोंने परत्व (श्रेष्ठ तत्त्व ) का चिन्तन किया ।।२।। जो अपने पराये प्रयोजनसे निरपेक्ष हैं, जिसने संसारके बन्ध और दुःखका नाश कर दिया है, जिसमें घोर कषायका शमन है, उन्होंने ऐसा प्रायोपमरण किया। सुन्दर तेरहवें स्वर्गमें, देवोंके द्वारा आनन्दित नन्दावतं विमानमें अमिततेज रविचूलदेव हुआ। वहां एक और स्वस्तिक नामक विमान था, श्रीविजय उसमें लक्षणोंसे प्रशस्त मणिचूल देव हुआ। उनके प्रभावका वर्णन कोन कर सकता है। वे दोनों बीस सागरकी आयुवाले थे। समय होनेपर जम्बूद्वीपके लक्ष्मीसे विशाल पूर्व विदेहमें वत्सकावती देशकी जिसके वनमें किन्नरियां क्रीड़ा करती हैं, नगरीमें मनुष्यश्रेष्ठ समस्त कलाओंका घर स्तमितसागर नामका राजा था। उसकी देवी सुन्दरी वसुन्धराके गर्भ में वह देव आकर स्थित हो गया। नन्दावर्त विमानका वह स्वामी अपराजित नामसे स्थिर और स्थूल बाँहोंवाला पुत्र हुआ। १०. पइसरवि । ११. P समुग्धविउ । ३. १. A पावोगमरण; Pपाओवगमरण । २. A पहावरीहि । ३. अमियसायरु; P तिमियसायर । www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only
SR No.002724
Book TitleMahapurana Part 3
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1981
Total Pages574
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mythology, & Story
File Size12 MB
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