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________________ -५५. २. ८ ] इथुइवायं तसियगहिंदो तं गुणविमलं इयमोहंगं भणिमो सरसं महाकवि पुष्पदन्त विरचित करइ सुवायं । जस्स महिंदो | विडं विमलं । घत्ता - तेरहमउ अवरु जणसंतियरु सुत्तगफसोमालइ ॥ अंचमि रहिय खयविरहियइ जिणु कव्वुप्पलमालइ ॥१॥ २ धादइiss परिभमियहरि हि विदेह तरंतकरि तहि दाहिणकूलि कलंबहरि फलरेंसवहरुक्ख सोक्खसयरि पहु पउमसेणु परमारमणु कयलीदलवीयणसीयरइ मंदाणिलचालियकुसुमरइ वयणुग्गयधीरधम्मैज्झणिहि तरस कहंगं । वारिय सरसं । पुव्वामरगिरिगंभीरदरि । सीय णामें अस्थि सरि । णवसत्तच्छयछाइयैमिहिरि | रम्यवइदेसि महाणयरि । नवजोठवणु रमणीमणदमणु । दिसिउग्गयसर सरसीयरइ । Jain Education International हिंदिणि वणि पीइंकरइ । पायंतिय सव्वगुत्तमुणिहि । २७३ २० जिन विमलनाथकी इस प्रकार शोभन स्तुति वचनोंकी रचना करता है, ऐसे गुणोंसे पवित्र उनको मैं नमन करता हूँ । तथा मोहको नष्ट करनेवाले, सरस परन्तु काम सुखसे रहित उनके कथांगका कथन करता हूँ । ५ घत्ता - जनशान्तिके विधाता तेरहवें जिनवर विमलनाथकी में कवि पुष्पदन्त मनुष्योंका हित करनेवाली सुन्दरतम उक्तियोंसे रचित, क्षयसे रहित काव्यरूपी कमलमालासे अर्चना करता हूँ ॥१॥ २ जिसमें सूर्य परिभ्रमण करता है ऐसे धातकीखण्ड में पूर्व सुमेरपर्वतकी गम्भीर घाटी है । उसके पूर्वविदेह में, जिसमें गज तेरते हैं ऐसी सोता नाम को नदी है । उसके दक्षिण किनारेपर कदम्ब वृक्षोंको धारण करनेवाला जिसमें नव सप्तपर्णी वृक्षोंसे सूर्य आच्छादित है और जो फलरसके प्रवाहवाले वृक्षोंके कारण सुखदायक है ऐसे रम्यकवती देशमें महानगरी है । उसमें राजा पद्मसेन था । लक्ष्मी से रमण करनेवाला वह नवयुवक और रमणियोंके मनका दमन करनेवाला था । एक दूसरे दिन, जो कदली वृक्षोंके पत्तोंके पंखोंसे शीतल है, जिसमें सरोवरोंके शीतल जलकण दिशाओं में उड़ रहे हैं, जिसमें मन्द पवनसे कुसुमपराग आन्दोलित हैं, ऐसे पीतंकर नामके वनमें, जिनके मुखसे धीर धर्मध्वनि निकल रही है ऐसे सर्वगुप्ति नामके मुनिके चरणोंमें अपने पुत्र For Private & Personal Use Only ६. AP गुंफसोमालइ; T गफ । २. १. AP अवरविदेहि । २. AP सीओया । ३. P°महरि । ४. A रिसबहुभक्ख सोक्खसयरि; रसबहुरुक्ख सोक्खसयरि । ५. P धम्मु झुणिसि । ६. A सव्त्रति । ३५ www.jainelibrary.org
SR No.002724
Book TitleMahapurana Part 3
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1981
Total Pages574
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mythology, & Story
File Size12 MB
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