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________________ -४८.८.१७] महाकवि पुष्पवन्त विरचित घत्ता-उत्तुंगु सुर्वसु कणयच्छवि गहमालियउ॥ जिणमेरु सुरेहिं मेरुगिरिहि संचालियउ ॥७॥ तम्मि सेलसिंगए पंडुपत्थरंग्गए। वंदिओजसंसिओ वजिणा णिवेसिओ। धम्मतित्थरायओ दुक्खतोयपोयओ। सीयलेण सीयलो वारिणा गुणामलो। सिंचिओ महुच्छवे देवदुंदुहीरवे। देह दित्तिपिंगलं सव्वलोयमंगलं। णीयबालकंदलं चारु सच्छविच्छेलं। रायहंसमाणियं जाइ हाणवाणियं। दिव्ववाससुंदरे मंदरस्स कंदरे। कक्करे विलंबियं चंचरीयचुंबियं। किंणरेहिं वंदियं दाणवाहिणंदियं । संचुयं लयाहरे णायसुंदरीसिरे। भगतोंडमंडणं पावपंकखंडणं। झ त्ति धावमाणयं धोयदंतिदाणयं। सित्तखेयरीवरं अक्खकीलियाहरं। पत्ता-जं एंव वहंतु भरइ सिहरिविवरंतरई ॥ तं जिगण्हाणंबु हणउ भवियजम्मंतरई ॥८॥ पत्ता-जो ऊंचा है, सुवंशवाला और स्वर्ण आभावाला है, ग्रहोंसे घिरा हुआ है, ऐसे जिनश्रेष्ठको देवेन्द्रोंने सुमेरुपर्वतके लिए संचालित किया ॥७॥ wwwwwwwwwwwwwwww wwwwwwwwwwwwwwwwww वहां शैल शिखरके पाण्डुकशिलाके अप्रभागपर, यशसे अंकित वन्दनीय जिनवरको इन्द्रने स्थापित कर दिया। देवताओंके नगाड़ोंकी ध्वनियोंसे युक्त महोत्सवमें धर्म तीर्थराज दुखरूपी जलके लिए जहाज स्वरूप शीतलनाथका शीतलजलसे अभिषेक किया गया। शरीरकी कान्तिसे पीला, सब लोगोंके लिए मंगलप्रद, जिसके द्वारा. नव अंकर ले जा रहे हैं. ऐसा सन्दर स्वच्छ और विच्छुरित तथा राजहंसोंसे सम्मानित, दिव्यवासोंसे सुन्दर, ऐसा महाभिषेकजल गिरि कन्दराओंमें विलीन हो गया । भ्रमरोंके द्वारा चुम्बित, किन्नरोंके द्वारा वन्दनीय दानवोंके द्वारा अभिनन्दनीय लतागृहोंमें नागसुन्दरियोंके सिरोंपर च्युत, भग्नमुखोंके लिए अलंकार स्वरूप, पापरूपी कीचड़को काटनेवाला, शीघ्र दौड़ता हुआ, हाथियोंके मदजलोंको धोनेवाला, विद्याधरियोंके वरोंको अभिषिक्त करनेवाला इन्द्रियोंका क्रीड़ा घर। ___घत्ता-जब इस प्रकार वह अभिषेक जल भरत क्षेत्र और पहाड़ोंके विवरोंमें बहता है तो वह सैकड़ों होनेवाले जन्मान्तरोंको नष्ट कर देता है ॥८॥ ८. १. A पत्यरंगए । २. P वंदिर । ३. A भविच्छलं । ४. A ण्हवणपाणिय; P हवणवाणियं । ५. A संथुयं । ६. A जक्खि; P जक्खं; T अक्ख । ७. A जिणवरहाणंबु । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002724
Book TitleMahapurana Part 3
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1981
Total Pages574
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mythology, & Story
File Size12 MB
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