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________________ शुद्धि-पत्र संधि १. २. २.१६.७ ५.१५.१४ ३९ १०८ ५. ७.६.९ १३३ २२१ ६. १०.३.१२ ७. ११.३५.१५ २७३ पंक्ति अशुद्ध शुद्ध ४ कुम्भस्थलके समान कुम्भस्थलपर ३ हृदयका अपहरण सुन्दर आँखोंवाली स्त्रियोंके हृदयका अपहरण शान्तिका तृप्तिका कोयल कोयलकी तरह बारबार खाया, धुना, घायल किया और गिराया जाता है बारबार भापाओं भाषाओं जिसमें रत नक्षत्र पल्य ये भरतके द्वारा पूज्य ग्रहनक्षत्र, लोग भरतके द्वारा पूज्य जिन भगवान में रत हैं भी हैं ११ पूरित रहता है पूरित किया करता है नाशका क्या वर्णन करूं? विस्तारका क्या वर्णन करूं? उस अवसपर उस अवसरपर गिरिघाटी गिरिघाटियों स्वयं बोध स्वयं बांध लिया क्या जाने वह उसीको लग क्या वही उसके जानुओं गया (घुटनों) को लग गया। ८. १३.६.४ ३०३ १ ९. १३.११.१२ १०. १४.८.१३ ११. १४.१२.९ १२. १६.२५.१२ ३११ ३२१ ३२५ ३७७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002722
Book TitleMahapurana Part 1
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1979
Total Pages560
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size11 MB
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