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११. ३५.१५] हिन्दी अनुवाद
२७३ घत्ता-श्रावक श्रुतकीर्ति और श्राविका देवी प्रियंवदा। जिसमें रत नक्षत्र-पल्य ये लोग भरतके द्वारा भी पूज्य हैं ॥३५॥
इस प्रकार ब्रेसठ महापुरुषोंके गुणालंकारोंसे युक्त इस महापुराणमें महाकवि पुष्पदन्त द्वारा विरचित और महाकन्च भरत द्वारा अजमत ग्यारहवाँ परिच्छेद समाप्त हआ॥११॥
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