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________________ ११. ३५. १४] हिन्दी अनुवाद २७१ ३४. इस प्रकार दो प्रकारके जीवोंका मैंने कथन किया। अब मैं अजीवका कथन करता हूँ कि जिस प्रकार मैंने देखा है। धर्म और अधर्म दोनों रूपसे रहित हैं, आकाश और कालके साथ, यह समझना चाहिए । गति, स्थिति, अवगाहन और वर्तना लक्षणवाले इनको कोई विलक्षण सुज्ञानी ही जानते हैं। काल सान्त और अनादि है। वर्तमान आगामी और भूत-ये कालके तीन भेद हैं। ( व्यवहार काल) समस्त नरलोक स्थान है। धर्म और अधर्म समस्त त्रिलोक है। उन दोनोंसे लोकाकाश व्याप्त है। आकाश भी अनन्त है और शुषिरके स्वरूपवाला है। अलोकाकाश वह है जो योगियोंके द्वारा ज्ञात है। पुद्गल पांच गुणवाला होता है। शब्द गन्ध रूप स्पर्श और भिन्न-भिन्न रंग-रचनाओंसे युक्त स्कन्ध देश-प्रदेशके भेदसे तीन प्रकारका है। स्वयं अशेष अविभाज्य है। घत्ता-उसे सूक्ष्मस्थूल, स्थूलसूक्ष्म और फिर स्थूल कहो। और स्थूलोंका भी स्थूल, वह चार प्रकारका है ऐसा मेरा मन सोचता है ||३४|| गन्ध-वर्ण-रस-स्पर्श-शब्द सूक्ष्म स्थूल मार्दववाला कहा जाता है। स्थूल सूक्ष्म ज्योत्स्ना छाया और आतप, स्थूल जैसे पानी ऐसा वीर ( महावीर ) ने कहा है स्थूलस्थूल धरतीमण्डल मणि निर्मल स्वर्ग विमान पटल हैं। सूक्ष्म नाम सहित सभी कर्म मन भाषा वर्गणा और परिणामों, अनेक रसों-रंगों, संयोग-वियोगोंसे परिणमन करते हैं। पूरण-गलन आदि स्वभावसे युक्त पुद्गल अनेक प्रकारके कहे गये हैं-इस प्रकार परमजिनेन्द्र द्वारा कथित धर्मको धर्मके आनन्दसे सुनकर, वृषभसेनने शुभ भावसे ग्रहण किया। उसने पुरिमतालपुर में प्रव्रज्या ग्रहण की। सोमप्रभ श्रेयांस नरेश मदज्वरको नष्ट करनेवाली प्रव्रज्या लेकर स्थित हो गये । इस प्रकार विषादसे रहित चौरासी गणधर ऋषभ जिनवरके हुए; ब्राह्मो-सुन्दरी जैसो कान्ताएँ महाआदरणीय संघकी आर्यिकाएं बनीं । लेकिन दर्शन मोहनीय कर्मसे अवरुद्ध एक मरीचि नामका भरतका पुत्र प्रतिबुद्ध नहीं हो सका । वह उन्हें छोड़कर कन्दका आहार करनेवाला कच्छादिका मुनिपद ग्रहण कर तपस्वी बन गया । लेकिन मोक्षमार्गपर चलनेवालोंमें अनन्तवीर्य सबसे अग्रणी हुआ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002722
Book TitleMahapurana Part 1
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1979
Total Pages560
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size11 MB
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