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________________ ११. २५.४] हिन्दी अनुवाद २५९ पर वहां त्रिलोकके ऊपर शिखरपर स्थित पैंतालीस लाख योजन विस्तीणं चन्द्रमा और हिमके समान छत्राकार भव्यजनोंके लिए प्यारी सिद्धोंकी भूमि अर्थोंसे प्रचुर आठवीं पृथ्वी है। घत्ता-अपने विमानके भीतर अत्यन्त मूल्यवान् शयनमें एक समयसे लेकर उपपाद स्वभावसे जो भिन्न मुहूर्तमें शरीर ग्रहण कर लेता है ॥२३॥ उसमें मुकुटों, हारों, केयूरों, दोरों, कांचीकलापों, मंजीर शब्दों, वेशभूषाके प्रसाधनों, अतिसुरभित साँसों, वैक्रेयक शरीरों, लक्षण प्रसंगों, समचतुरस्र संस्थानों, मानवी आकारों, अपलक नेत्रों, चन्द्रमाके समान सौम्य मुखों और सन्तापशून्य पुण्य प्रभावोंसे स्वर्णके समान विकारसे रहित देव एक क्षणमें उत्पन्न होते हैं। सौधर्म स्वर्गके देवोंके शरीरमें नखचर्म और सिरमें रोम नहीं होते। न रक्त न पित्त, और न पुरीष और न मूत । न मसें न मांस और न दाढ़ी केश होते हैं। न उनके मस्तिष्कमें शुष्कता होती है और न कलेजा ( यकृत ) होता है। उनके वासगृहोंके किवाड़ स्वयं खुल जाते हैं। ( इस प्रकार) मणिकिरणोंसे आलोकित देवयोनि-विमानोंसे देव अचानक निकल पड़ते हैं और हर्षसे उछलने लगते हैं, 'हे देव-देवेन्द्र, आपकी जय, हे स्वामी, आपकी जय । आप प्रसन्न हों" यह घोषणा करते हैं और परिजनोंको सन्तुष्ट करते हैं। इन सबके शरीरोंका मान जिनज्ञानके द्वारा निर्दिष्ट है। ___ घत्ता-भवनवासियोंमें असुरकुमारोंकी ऊंचाई पच्चीस धनुष और व्यन्तरों सहित शेष देवोंके शरीरकी ऊंचाई दस धनुष तथा ज्योतिष देवोंके शरीरकी सात धनुष है ॥२४॥ २५ (वैमानिक देवोंमें ) सौधर्म और ईशान इन दोनों स्वर्गों में शरीरकी ऊंचाई सात हाथ, सनत्कुमार और माहेन्द्र स्वर्ग में छह हाथ, फिर ब्रह्म और ब्रह्मोत्तर. लान्तव और कापिष्ठ स्वर्गोंमें पाँच हाथ ऊंचे देवजन होते हैं। शुक्र, महाशुक्र, शतार और सहस्रार स्वर्ग में चार हाथ, और फिर आनत और प्राणत स्वर्गमें साढ़े तीन हाथ होते हैं; आरण और अच्युत इन दो स्वर्गों में तीन हाथ । प्रथम ग्रैवेयक (अधोवेयक ) के विमानोंमें (३) ढाई हाथ; विश्वपूज्य मध्यम ग्रेवेयकके विमानोंमें Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002722
Book TitleMahapurana Part 1
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1979
Total Pages560
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size11 MB
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