SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 332
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २४६ महापुराण [११.१०.९ णारउ मरिवि ण णारउ जायइ सुरु वि ण सुरु मुणिणाहु विवेयइ । अमरु ण णरयहु णारउ सग्गहु वञ्चइ सविहिविहंसियमग्गहु । होइ तिरिक्खु वि चउगइगामिउ जिह तिह माणउ दुक्खायोमिउ । पमियाउहुं तिरिवहुं तिरियत्तणु अविरुद्धउ मणुयहुं मणुयत्तणु । घत्ता-तिहिं गइहिं ण होति मणुय तिरिक्ख सोक्खचुयहिं ।। पलिओवमजीवि सग्गु लहंति संइंमुवहिं ॥१०॥ संखाउस जे जीवाहारिय अण्णोण्णण वियारिय मारिय । सरिसव जंति पढम वीयावणि पक्खि तइय 'वालुप्पह दुहखणि । पुहइ चउत्थी जति महोय । पंचमियहि केसरि मयमारय । महिलउ छ?हि वि हुरक्कमियहि होति मणुय मेच्छ वि सत्तमियहि । आयउ मघविहि लहइ णरत्तणु को वि अरिहहि देसँवयत्तणु । णिग्गउ अंजणाहि किर णिव्वुइ को वि कहिं मि पाबइ पंचमगइ। सेलहि वंसहि धम्महि आइउ होइ को वि तित्थयरु महाइउ । णर तिरिया सलायपुरिसत्तणु णउ लहंति णिम्मलु जसकित्तणु । सव्वत्थ वि माणेसु उप्पज्जइ एम पउत्तइ सुत्तु पउंजइ। राम उडूढ ह सामिय केसव सव्व अहोगइगामिय । घत्ता-पडिसत्तु कयंत णउ णारायण पीणकर ॥ णरयहु णिग्गिवि होंति ण हलहर चक्कहर ।।११।। १२ तिहिं काहिं णरत्त ण विरुद्धउ तिरियत्तु वि जिणबुद्धे बुद्धउ । बायरपुहइ तोय पत्तेयह देव चवेवि होति किर एयहं । णउ लहंति सुरणियर सतामस पुण्णसिलोयत्तणु आजोइस । अक्खमि णरयवासु भीसावणु णाणादुक्खलक्खद रिसावणु । पढमासीयहिं सिर्छ सहासहिं पुणु बत्तीसहिं अट्ठावीसहिं । चउवीसहिं वीसहिं बिहिं अट्ठहिं अट्ठहिं णाणसहाउवइट्टहिं । एम सहससंखाहिउ घणु भणु खरपंकयलक्खु जि मंदत्तणु। आयामु वि असंखु संखेवें पुहइहि पुहइहि अक्खिउ देखें। ५. T दुक्खायासिउ । ६. MT सयंभुवहिं । ११.१. Pविमणस सरढ पढम । २. Kवालयपह । ३. Pमहोयर । ४. MP मिगमारयः B मियमारय । ५. MBP छद्विहि । ६. MP हुरक्किमयहि । ७. K देसवइत्तणु । ८. P महावउ । ९. K माणउ सु । १२. १. B पत्तेय वि । २. M देवत्तणु वि होइ किर एयहुं; B होति समागय देवत्तहु कि वि; P देवत्तणु - ण होइ किर एयहं । ३. MBPT पुण्णसलायत्तणु । ४. B सिद्ध समासहिं । ५. MB केवलणाण; M records ap अद्वहिं for केवलं । ६. B omits this foot ; P reads it after 8 b । ७. MBP add after this : सोलह चोरासी सहस जि गुणु, एक्केक्कउ जि लक्कु रुदत्तणु । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002722
Book TitleMahapurana Part 1
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1979
Total Pages560
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy