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महापुराण
[९.४.८
को वि भणइ सामिय दय किजउ एक्कवार पञ्चुत्तर दिज। को वि भणइ मेरउ घरु आवहि भिचभत्ति पहु किं ण विहावहि । चंदु व रिक्खि रिक्खि वियरंतउ जइवइ गेहि गेहि पइसतउ । घरिणिहि घरेप्रंगणु संप्राइउ ताउ व भाउ व देउ पलोइउ । णिग्गयाउ मणि तोसु वहतिउ एम चवंति ताउ पणवंतिउ। मजणु मज्जणहरि संजोइउ पोत्ति तेल्लु आसणु वि पढोइउ । ण्हाहि णाह लइ तणुउवयरणउं चंगउ चेलिउ हेमाहरणउं । बइसहि पट्टि सुसरससमग्गउ भुंजहि भोयणु तुज्झु जि जोग्गउ । बोल्लावियउ ण किं पि वि भासहि मुर्वणुबंधु किं अप्पउ सोसहि । धत्ता-पुरि कलयलु णिसुणेवि ससिभासें अहियारिउ ॥
कंचणदंडविहत्थु पुच्छिउ णियदउवारिउ ॥४॥
हेला-ता पडिहारएण भाणियं भवावहारो।
जो लच्छीकडक्खविक्खेवे वि णिव्वियारो॥१॥ सिरेण णवेवि सुरायलि ठवियउ जो तियसेसरेण सई ण्हवियउ। जेण पयासियाई मइगम्मई बहुभेयई जणजीवणकम्मई। भरहहु तुम्हहुं मेइणि दिण्णी जेण णवल्लवित्ति पडिवण्णी । सो आयउ तेलोकपियामहु तं णिसुणिवि उद्दिउ सोमप्पहु । सहुँ सेयंसकुमार णिग्गउ
ताम पलंबपाणि णं दिग्गउ । संमुहुं एंतु णिहालिउ जिणवरु णं वसुहंगणाए पैसरिउ करु । णहसरि रवि सररुहहु कयग्गहु णं जगभवणखंभु भयमयमहु । सामि सणेहभरेण भरेप्पिणु कर मउलेवि पणामु करेप्पिणु । सोमप्पहेण पलद्धपसंसे
देवि पयाहिण तहु सेयंसे । मुहं जोइयउ णेत्तसयवत्तहिं हरिसंसुयओसाकणसित्तहिं । घत्ता-अइपसण्णमुहु होइ संभासणु पडिवजइ ॥
पुत्वभवंतरणेहु जगदिट्ठिए जाणिज्जइ ॥५॥
हेला–जिणमवलोइऊण कुंयेरेण लोयसारो।
सिरिमइवजजंघजम्मंतरावयारो ॥१॥ पंउद्धो असेसो
सवासो देसेसो। मुणीणं पहाणं
बराहारदाणं । ५. M घरपंगणु संपाइउ; B घरिणिघरपंगणु संपाइउ; P घर पंगणु संपाइउ । ६. MBP हरिसु ।
७. M सरसु सुसमुग्गउ; B सुरसु समुग्गउ । ८. M सुयणबंधु । ५. १. MBP भणियं । २. MBP विक्खेवणिव्वियारो। ३. MBP पसरियकरु । ४. MBP भयमयवहु ।
५. MB सणेह भरेण । ६. BP अइपसण्णु । ७. P जणदिढ़ें। ६. १. MBP कुमरेण । २. M has before this line सोमराई छंद; BPGK have सोमराई;
MBPK पबुद्धो। ३. MBP सदेसो।
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