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[७.४.८
महापुराण अण्णु जि भणइ महारउ मत्तउ उ जाणइ जिह सयलहिं चत्तउ । अण्णहिं जंति खणद्धे रहवर हयवरगयवरचिंध सचामर । परमत्थे ण को वि जगि कासु वि एक्कलउ जि जाइ पुहईसु वि। घत्ता-राएण णिबद्धउ इंदियलुद्धउ सुहु अण्णु जि महुँ भावइ ।।
ससहाउ ण पेक्खइ अण्णु जि कखइ जीउ महावइ पावइ ॥४॥
खंडयं-चउकसायरसरसियओ मिच्छासंजमवसियओ।
णाणाजम्मु वियारए आहिंडइ संसारए ॥१॥ णरयगइहिं उप्पण्णउ जइयहुं णारयणियरिहिं रुभिवि तइयहुँ । तिलु तिलु छिदिवि दिसिहि विहाइठ कवलिउ धुणिउ वणिउ विणिवाइउ । वारवार पच्चारिउ जूरिउ
विज्जुतरलतरवारिवियारिउ । एक्कु जि बहुयहि तहिं पारंभिउ खलिउ दलिउ पयमलिउ णिसुंभिउ । ओहामिउ भामिउ ओणामिउ सूलि कयंतदंति संकामिउ । अच्छोडिउ मोडिउ महिं पाडिउ विरसमाणु करवत्तहिं फाडिउ । लूरियंतु कोंतेहिं विहिण्णउ रुंदोदूह लि मुँसलहिं छुण्णउ । सत्तिहिं हूलिउ जंतिहिं पीलिउ जलियजलणजालोलिहिं जालिउ । वम्म विहेट्टणेहिं दुब्बोलिउ सेल्लभल्लिवावल्लहिं सल्लिउ। पूयकुंडि उप्पेल्लिवि घल्लिउ रुहिरोहलियदेहु ओणल्लिउ । घत्ता-मणि रोसु धरंतह रणि पहरंतह लग्गइ गत्तु विहत्तु वि ।।
सुहु णस्थि तमंधहं णारयसंढह णयणणिमीलणमेत्तु वि ।।५।।
खंडयं-सिंगीसु य पक्खीसु य
मुंजंतो भवसंगमं कायकंककोइलकारंडहिं सीहसरहसूयरसालूरहिं कीरकुररकुंजरसारंगहिं कुक्कुडमक्कडमहिसमरालहिं सेढासरढतरच्छहिं रिहिं तिक्खतिरिक्खदुक्खसंदाहिं बलजिम्मंथणु णियलणिबंधणु
दाढीसु य णक्खीसु य । ण लहइ जीवो णिग्गमं ॥१॥
सारसचासभासभेरुंडहिं। घारमोरमंडलमज्जारहिं । लावयपारावयहिं तुरंगहिं । मेसवसहखरकरहसियालहिं । मयरमहोरयकच्छवमच्छहिं । संभवंतु णाणाविहजोणिहिं । भारारोहणु णोणाबंधणु।
५. MBP एक्किल्लउ । ६. MB जणि; P मणि । ५. १. MRP संजमि वसियउ । २. MBP जम्म । ३. MB दिसहिं । ४. MBP मुसलें। ५. M
विहट्टणेण । ६. १. M लाययं । २. B कुंकुड। ३. MBP सेहा । ४. MP °रिच्छहिं । ५. MBP णासाविषणु ।
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