________________
१३०
महापुराण
[७.२.५
पडिबलकुलकाणणकालाणल इंद पडिंदहमिंद महाबल । पण्णारहखेत्तुब्भव जिणवर कुलयर चक्कवट्टि हरि हलहर । जइ वि धरंति देहभा भासुर पवराउहपवीण देवासुर । जइ परसइ मयरहरभंतरि किंकरहरिकरिरहवूहंतरि। सरसरिगिरिदरिकक्करकंदरि दुप्पवेसकुलिसायसि पंजरि । बहलतमंधयारमहिमूलइ
जइ पइसरइ गंपि पायालइ। तो वि जीउ कड्डिज्जई कालें हरिणा हरिणु व भिउडिकरालें। घत्ता-इय बुज्झिवि असरणु रुभिवि तियरणु जेण चरित्तु ण चिण्णउं ।।
तं माणुसवेसे वायविसेसें भमइ कलेवरु सुण्णउं ॥२॥
खंडयं-मित्तसयणसंजोयओ होउँ होइ विओयंओ।
एको च्चिय जगि जीयओ भमइ सकम्मविणीयओ ॥१॥ एकु जि जडु जञ्चंधु णउंसउ दुग्गउ दुठु दुबुद्धि दुरासउ । हुयउ कुमाणुसत्ति दुणिहालउ एक्कु जि जीउ चंडु चंडालउ । एक्कु जि धणुहरु सवरु वणंतरि एक्कु जि सुरवरु मणिमयसुरहरि । अप्पउ पुण्णहीणु पडिवज्जइ सयमहविहवपलोयणि झिज्जइ। एक जि णहि णहयरु थलि थलयरु एक जि बिलि विसहरु जलि जलयरु । एक्कु जि मूंगजोणिहि उप्पज्जइ परिहि तलिवि पउलिवि खणि खज्जैइ । उ दूसह दुम्मइ
णरयविवरि णारइयहिं हम्मइ । एक्कु जि तरइ मरइ वइतरणिहि चरइ जलणपज्जलियहि धरणिहि । घत्ता-एकु जि भवकद्दमि णिवडइ दुद्दमि रइसुहपंकयछप्पउ।।
एक्कु जि तवताविउ णाणे भाविउ होइ जीउ परमप्पउ ॥३॥
खंडयं-इय णिसुणिवि एयत्तणं गाढं णियमह णियमणं ।
___ एक्कु जि जीउ वरायओ सयलु वि अण्णु जि लोयओ ॥१॥ अण्णहिं परमाणुयहिं णिबज्झइ अण्णु जि पिंडु गब्भि संबज्झइ । अण्णु जीउ अण्णु जि दुक्कियमलु अण्णु जि सुक्कियउ अण्णु जि तहु फलु । अण्णहिं कुलि कलत्तु परिणिज्जइ अण्णु जि को वि पुत्तु णिप्फज्जइ । अण्णु जि मित्तु सयज्जि कयायरु अण्णु जि होइ सँणेहउ भायरु ।
अण्णु जि भिच्चु होइ धणलोहें जीउ तइ वि मोहिज्जउ मोहें। २. १. MBP पण्णारस । २. MBP देव भाभासुर । ३. MBP कुलिसायस । ४. MBP तमंधयारि ।
५. M कट्टिज्जइ। ३. १. Pसंजोयरु। २. P विओयरु। ३. MBP मिगजोणिहि। ४. M परिहि तलिज्जइ पउलिवि
खज्जइ। ५. B खिज्जइ । ४. १. MBP सुक्किउ । २. MBP पुत्तु को वि उप्पज्जइ । ३. MBP सकज्जि । ४. M सणेहें।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org