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[२.५.५
महापुराण घडियहिं दोहिं मुहुत्तहु अवसरु तीसहिं तेहिं जाइ णिसिवासरु । तेत्तियहिं जि दिर्यसहिं विरइज्जइ मासु महारिसिणाहहिं गिजइ । बिहिं मासहिं उडेमाणु णिबद्धउ उद्यहिं तीहिं पुणु अयणु पसिद्ध । विहिं अयणिहिं संवच्छरु वुच्चइ पंचहिं वच्छरेहिं जुगु वुच्चई । बिहिं जुगेहिं दसवरिसई जायइं . दहगुणियई सयसंखइ आयई। सउ दहेहिं ताडिजइ जामहि आवइ अस्सहासु वि तावहिं । पत्ता-सो सहसु वि दहहउ दससहँसु होइ समासिउ मइं णिउणु ।।
ते दह वि दहहिं जइ गुणइ गुणि तो उप्पज्जइ लक्खु पुणु ॥५॥
संखाणाणिहिं णिम्मिउं चंगउ . चउरासीलक्खहिं पुव्वंगउ । जाणिज्जइ फुडु अक्खियमेत्ती लक्खसएण जि कोडि पउत्ती। पुव्वंगे पुव्वंगु णिहम्मद
जइ तो इह अवरु वि अवगम्मइ । वरिसहं सत्तरि कोडिउ लक्खहं छप्पण्णेव ताउ संहसंखहं । परमागमि जं देवे बद्धर
पुश्वपेमाणु एउ तं लद्धउ । पन्वु णउदु कुमुदु वि पउमक्खउ णलिणु कमलु तुडियउ वि ससंखउ । अडडु अममु हाहा हूहू तिह जाणहि जिणवरेण जाणिउं जिह । मउलय लय वि महालइयंगउ पुणु वि महालयणामपसंग। सीसपकंपिउ हत्थपहेलिउ
अचलप्पु वि वीरें उम्मीलिउ । णाणाणामपमाणहिं भेजउ एत्तिउ कालु होइ संखेज। पत्ता-परमाणु अट्ठ जइ मेलवहिं तो तसरेणु समुभवइ ।
__ अट्ठहिं तसरेणुहिं पिंडयहिं एजु जि रहरेणुउ हवइ ॥६॥
अट्ठहिं रहरेणुयहिं समग्गहिं . चिहुरग्गउ अट्ठहिं चिहुरग्गहिं । लिक्ख भणिय पुणु अट्ठहिं लिक्खेहिं सियसिद्धत्थु कहिउ णिहयक्खहिं । अट्ठहिं सरिसवेहिं परिमाणिउ जवपमाणु देवागमि आणिउँ। परमप्पयदिहउ को दूसइ । अट्ठजवंगुल सूरि समासइ । छंगुलु पाउ विहत्थि दुवाई दोहिं ताहि किर रयणि वि हूई। चउरयणिलु दंडु भणि भावहि दंडहिं अट्ठसहासिहिं पावहि । जोयणु तं पि सरहिं गुणिज्जइ पंचहिं पुणु लोयहु दंसिज्जइ। एम महाजोयणु वक्खाणिउं जं जगमाणकरणु अहिणाणिउं । तस्स पमाणे खम्मइ खोणी परिवटुलिय संपरियरतिउणी। ४. MBP दिवसहिं । ५. MBP रिउमाणु । ६. MBP सुच्चइ । ७. MBP दससहस । ६. १. K सहसक्खहं । २. M पुन्वे पमाणु । ३. हत्यपहिल्लउ; P°पहिल्लिउ । ४. MBP रहरेणू । ७. १. MBP ल्हिक्ख । २. MBP ल्हिक्खहिं । ३. M जाणिउ। ४. MBP पंचहि लोयहु पुणु
दरिसिज्जइ। ५. MBP खोणी। ६. TP सपरिरय and adds सपरिरयेति पाठेऽप्ययमेवार्थः ।
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