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-गा०७२]
- ३. संसाराणुवेक्खापुत्तो वि भाउ जाओ सो चियं माओ वि देवरो होदि । माया होदि सवत्ती जणणो वि य होदि भत्तारो ॥ ६४ ॥ एयम्मि भवे एदे संबंधा होंति एय-जीवस्स । अण्ण-भवे किं भण्णइ जीवाणं धम्म-रहिंदाणं ॥ ६५ ॥ संसारो पंच-विहो दवे खेत्ते तहेव काले य । भव-भमणो य चउत्थो पंचमओ भाव-संसारो ॥६६॥ बंधदि मुंचदि जीवो पडिसमयं कम्म-पुग्गला विविहा । णोकम्म-पुग्गला वि य मिच्छत्त-कसाय-संजुत्तो ॥ ६७ ॥ सो को वि णत्थि देसो लोयायासस्स गिरवसेसस्स । जत्थ ण संबो जीवो जादो मरिदो य बहुवारं ॥ ६८ ॥ उवसप्पिणि-अवसप्पिणि-पढम-समयादि-चरम-समयंतं । जीवो कमेण जम्मदि मरदि य संवेसु कालेसु ॥ ६९ ॥ णेरइयादि-गदीणं अवर-द्विदिदो" वर-ट्ठिदी जाएँ । सब-द्विदिसु वि जम्मदि जीवो गेवेज्ज-पतं ॥ ७० ॥ परिणमदि सण्णि-जीवो विविह-कसाएहि ठिदि-णिमित्तेहिं । अणुभाग-णिमित्तेहि य वटुंतो भाव-संसौरे ॥ ७१ ॥ एवं अणाइ-काले पंच-पयोरे भमेइ संसारे। .
णाणा-दुक्ख-णिहाणे जीवो मिच्छत्त-दोसेण ॥ ७२ ॥ १लमसग विय। २ लमगस होइ। ३ यह गाथा ल प्रतिमें नहीं है। ४ इस गाथाके भनंतर नीचे लिखा हुभा अधिक पाठ मिला जैसा लिखा है। ब "वसंततिलयाधणदेवपउमाइणि इत्थि दिदैता । भाषा भतिजय देवरो सि पुत्तो सि पुत्तपुत्तो सि । पित्तव्बउ सि वालय होसि तुमं णत्त छकेणं ॥६६॥ तुज्झ पिया मम भाया सुसुरो पुत्तो पइ य जणणो य । तह य पियामहु होइ वालयणतणत्थ केणं ॥ ६७ ॥ माया य तुज्झ वालय मम जणणी सासुय सवकी य । बहु भाउजया य पियामही य इत्थेव जाया या ॥ ६८॥"। म वसंततिलयाधणदेवपउमाएइणि विटुंता बालाय णिसुणहि वयणं तुहु सरिसइं हुंति अट्ठदह नत्ता ॥ ६६ ॥ पुत्तु भत्तीजउ भायउ देवरु पित्तियउ पुत्तो जो ॥ ६६ ॥ तुहु पियरो मुहु पियरो पियामहो तहइ [य] हवइ भत्तारो। भायड तहा बि पुत्तो सुसुरु हवय[]वालया मज्झ ॥ ६७ ॥ तुहु जणणी हुइ भज्जा पियामहि तह य मायरी । सबई हवइ बहु तह सा सुष कहिया अट्टदह णत्ता ॥ ६८॥ ५ बम भवणो। ६ब मुञ्चदि। ७ इस गाथाके अन्त्यमें, बम दवे ॥ ८ बसम्वे। ९ब जादो य मदोय (परिवर्तनके पूर्वका पाठ)। १० इस गाथाके अत्यमें ब खेत्तं, म खेत्ते ॥ ११ ब समइसु सम्वेसु। १२ बम काले। १३ ग अवरिट्ठिदिदो वरिट्ठिदी। १४ ब जाम। १५म भावे [भवे । १६ ब प्रतिमें इस गाथाके बीच और बाद नातेके कुछ शब्द लिखे गए हैं। इस वास्ते किसी दुसरेने हासीयेमें यह गाथा लिखी है। गाथाके अंत्यमें 'भवो' शब्द है। १७ लसग संसारो। ब भाव संसारो, म भाव ॥ १८ब अणायकाले, लमसगमणाइकालं। १९ब पयारेहिं भमए सं।
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