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१०. लोकानुप्रेक्षा
देने से एक भाग बादर और बहुभाग सूक्ष्म जीव होते हैं । बादर एकेन्द्रिय जीवोंकी संदृष्टि १३-१ इस प्रकार है और सूक्ष्म जीवों की संदृष्टि १३-६ है । नीचे असंख्यात लोकका चिह्न ७ का अंक है । सो बादर एकेन्द्रिय राशि १३-१ को असंख्यात लोक (७) का भाग देनेसे बहु भाग मात्र अपर्याप्त और एक भाग मात्र पर्याप्त जीव होते हैं। सो बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्त राशिकी संदृष्टि १३- ऐसी हे और बादर एकेन्द्रिय पर्याप्त राशि की संदृष्टि ३१-३।। ऐसी है । सूक्ष्म एकेन्द्रिय राशि १३-६ को संख्यात (५) का भाग देने पर बहु भाग प्रमाण पर्याप्त राशि और एक भाग प्रमाण अपर्याप्त राशि आती है । सो यहां पर्याप्त राशिकी संदृष्टि १३-६१६ यह है और अपर्याप्त राशिकी संदृष्टि १३-६६ यह है । अब त्रस राशिकी संदृष्टिका खुलासा करते हैं वह इस प्रकार है-जगत्प्रतरका चिह्न = यह है । प्रतरांगुलका चिह्न ४ का अंक है । और असंख्यात का चिह्न ७ का अंक है। प्रतरांगुलके असंख्यातवें भागका भाग जगत्प्रतरको देनेसे त्रस राशिका प्रमाण आता है । सो त्रस राशिका संकेत ४ यह है। आवलीके असंख्यातवें भागका संकेत नौ का अंक है । सो सराशिमें आवलीके असंख्यातवें भाग (९) का भाग देकर बहु भाग निकालो। सो बहुभाग राशिका प्रमाण ४९ यह है । इसको चार हिस्सोंमें वांटनेके लिये चारका भाग
देनेसे ऐसे हुआ ४९४ । यह एक एक समान भाग दोइन्द्रिय, तेइन्द्रिय और चौइन्द्रिय और पंचें
न्द्रिय जीवोंको दे दो। शेष एकभाग रहा उसका प्रमाण ४।९ यह है । इसको आवलीके असंख्या
तवें भाग (९) का भाग देकर बहुभाग निकाला सो ४।९।९ इतना हुआ । यह दो इन्द्रियको देदो।
शेष एक भाग ४।९।९ ऐसा रहा। इसको आवलीके असंख्यातवें भागका भाग देकर बहुभाग
निकाला सो ४।९।९।९ इतना हुआ । वह तेइन्द्रियको देदो । शेष एक भाग ४।९।९।९ रहा ।
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इसमें भी आवलीके असंख्यातवें भागका भाग देनेसे बहुभाग ४।९।९।९।९ ऐसा हुआ। यह चौइन्द्रियको
देना। शेष एकभाग रहा ४।९।९।९।९ यह पञ्चेन्द्रियको देना । सम भाग और देय भागका प्रमाण
इस प्रकार हुआ
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