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संदृष्टि नं. 29 स्त्रीवेद आस्रव 53
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स्त्रीवेद में 53 आम्रव होते हैं जो इस प्रकार हैं - 5 मिथ्यात्व, 12 अविरति, 13 योग ( मनोयोग 4, वचनयोग 4, काययोग 5 औदारिक, औदारिक मिश्र, वैक्रियिक, वैक्रियिकमिश्र और कार्मण), कषाय 23 ( कषाय 16, हास्य आदि 6 नोकषाय एवं स्त्रीवेद) । गुणस्थान मिथ्यात्व आदि 9 होते हैं ।
गुणस्थान आस्रव व्युच्छित्ति
1. मिथ्यात्व 5 [5 मिथ्यात्व ]
12. सासादन
3. मिश्र
4. अविस्त
5. देशविस्त
6. प्रमत्त विरत
7 [ अनंतानुबंधी 4 कषाय, औदारिकमिश्र, वैक्रियिकमिश्र और
कार्मणकाययोग]
0
6 [अप्रत्याख्यान क्रोध आदि 4, त्रस
| अविरति, वैक्रियिक काययोग]
15 [गुणस्थानवत्]
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0
आस्रव
53 [5 मिथ्यात्व, 12 अविरति, योग 13 (मनोयोग 4, वचनयोग 4, काययोग 5औदारिक, औदारिकमिश्र, वैक्रियिक, वैक्रियिकमिश्र और कार्मण) कषाय 23 (कषाय 16, हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा, स्त्रीवेद ) ]
| 48 [ उपर्युक्त 53 - 5 मिथ्यात्व]
| 41 [ उपर्युक्त 48-7
(4 अनंतानुबंधी, औदारिकमिश्र, वैक्रियिकमिश्र और कार्मण काययोग)]
35 [गुणस्थानवत् 37-2 (पुंवेद, नपुंसकवेद)]
20 [गुणस्थानक्त् 24-4 (पुंवेद, नपुंसकवेद, आहारकद्विक)]
आस्रव अभाव
41 [12 अविरति, योग 10 (मनोयोग 4, 12 [ उपर्युक्त ] क्चनयोग 4, काययोग 2 - औदारिक,
वैक्रियिक), अप्रत्याख्यानादि 12 कषाय, हारयादि 6 नोकषाय, स्त्रीवेद ]
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5 [5 मिथ्यात्व]
0
12 [5 मिथ्यात्व, 4 अनंतानुबंधी,
| औदारिकमिश्र, वैक्रियिकमिश्र और कार्मणकाययोग]
18 [ उपर्युक्त 12 + 6 (अप्रत्याख्यान
क्रोध आदि 4,
स अविरति, वैक्रियिक
काययोग)]
33 [5 मिथ्यात्व, अविरति 12, अनंतानुबंधी आदि 12 कषाय, औदारिकमिश्र, वैक्रियिकद्विक और कार्मण काययोग ]
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