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________________ संदृष्टि नं. 5 भोगभूमिजतिर्यंच आस्रव 52 भूमिभूमिजतिर्यंचों के 52 आस्रव होते हैं जो इस प्रकार हैं - 5 मिथ्यात्व, 12 अविरति, योग 11 (मनोयोग 4, वचनयोग 4, काययोग 3- औदारिक, औदारिक मिश्र, और कार्मण), कषाय 24 (कषाय 16, नोकषाय 8- हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा, स्त्रीवेद, पुंवेद)। गुणस्थान मिथ्यात्व आदि चार होते हैं। गुणस्थान आस्रव व्युच्छित्ति आस्रव आस्रव अभाव | 1 मिथ्यात्व |5[5 मिथ्यात्व] 52[5 मिथ्यात्व, 12अविरति, योग 11 (मनोयोग 4, वचनयोग 4, काययोग3-औदारिक, औदारिकमिश्र और कार्मण), कषाय 24 (कषाय 16, नोकषाय 81 हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा, स्त्रीवेद, पुंवेद)] 2. सासादन 4 [अनंतानुबंधी, 47 [उपर्युक्त 52-5 मिथ्यात्व] | 4 कषाय 5 [5 मिथ्यात्व] 41 उपर्युक्त 47-6(अनंतानुबंधी 4, औदारिकमिश्र, कार्मणकाययोग)] 11[5 मिथ्यात्व, |4अनंतानुबंधी, औदारिकमिश्रऔर कार्मणकाययोग] 14. अविस्त 43 [52-9(5 मिथ्यात्व, अनंतानुबंधी 4)] 9 [5 मिथ्यात्व, 4अनंतानुबंधी |7[अप्रत्याख्यान क्रोध आदि4, औदारिकमिश्र और कार्मणकाययोग, सअविरति] [25] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002706
Book TitleAsrava Tribhangi
Original Sutra AuthorShrutmuni
AuthorVinod Jain, Anil Jain
PublisherGangwal Dharmik Trust Raipur
Publication Year2003
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size4 MB
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