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तंता
दुःखी
उसी
दिसिं
वह
(तंत 1/2 वि
परेशान परितंता (परितंत) 1/2 वि
अत्यन्त बैचेन हुए निम्विन्ना
(निम्विन्न) 1/2 वि समाणा (समाण) 1/2 वि
होते हुए जामेव अव्यय
जिस दिसिं (दिसि') 2/1
दिशा में पाउब्भूआ (पाउब्भूय) भूकृ 1/2 अनि
प्रकट हुए थे तामेव
अव्यय (दिसि) 2/1
दिशा को पडिगया (पडिगय) भूक 1/2 अनि
लौट गए 14. तए अव्यय
तत्पश्चात् अव्यय
पादपूरक (त) 1/1 सवि कुम्मए (कुम्म) 'अ' स्वार्थिक 1/1
कछुआ (त) 2/2 सवि
उन पावसियालए
[(पाव)-(सियाल) 'अ' स्वार्थिक 2/2] पापी सियारों को चिरंगए
[(चिरं) अव्यय-(गअ) भूकृ 7/1 अनि] बहुत समय बीतने पर
[(दूर)-(गअ) भूकृ 2/2 अनि] दूर गया हुआ जाणित्ता (जाण) संकृ
जानकर सणियं अव्यय
धीरे सणियं अव्यय
धीरे गीवं (गीवा) 2/1
गर्दन को नेणेइ (णीण) व 3/1 सक
बाहर निकालता है नेणित्ता (णीण) संकृ
बाहर निकालकर दिसावलोयं [(दिसा)+ (अवलोय)]
सब दिशाओं [(दिसा)-(अवलोय) 2/1]
में अवलोकन करेइ (कर) व 3/1 सक
करता है 1. कभी-कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर द्वितीया विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है। (हेम प्राकृत
व्याकरण 3-137)।
दूरगए
360
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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