SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 355
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आमिसप्पिया आमिसलोला आमिसं गवेसमाणा [(आमिस)-(प्पिय) 1/2 वि] [(आमिस)-(लोल) 1/2 वि] (आमिस) 2/1 (गवेस) वकृ 1/2 (रत्ति) 2/1 (वियालाचारि) 1/2 वि माँसप्रिय माँसलोलुप माँस को खोजते हुए रात्रि में विकाल में घूमनेवाले दिन में गुप्त रूप से चुपचाप अव्यय रतिं वियालचारिणो दिया पच्छन्नं चावि चिट्ठति अव्यय अव्यय (चिट्ठ) व 3/2 अक रहते हैं (थे) अव्यय तत्पश्चात् वाक्यालंकार उस अव्यय (त) 5/1 सवि (मयंगतीरद्दह) 5/1 अव्यय मृतगंगातीरहृद में से किसी समय ताओ मयंगतीरहहाओ अन्नया कयाई सूरियंसि चिरत्थमियंसि अव्यय कभी लुलियाए संझाए पविरलमाणुसंसि णिसंतपडिणिसंतंसि समाणंसि (सूरिय) 7/1 सूर्य के [(चिर)+ (अत्थमियंसि)]] दीर्घकाल से [(चिर) क्रिविअ-(अत्थमिय) भूक 7/1] अस्त होने पर [(लुलिअ(स्त्री)लुलिआ) भूक 7/1] समाप्त होने पर (संझा) 7/1 सन्ध्या के [(पविरल)-(माणुस) 7/1] थोड़े मनुष्य होने पर [(णिसंत)-(पडिणिसंत) 7/1 वि] शान्त, विश्रान्त (समाण) 7/1 वि अहंकारी (दु) 1/2 वि (कुम्म) 'ग' स्वार्थिक 1/2 कछुए दुवे कुम्मगा 1. कभी-कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर द्वितीया का प्रयोग पाया जाता है। (हेम प्राकृत व्याकरण 3-137) 346 प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002691
Book TitlePrakrit Gadya Padya Saurabh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2009
Total Pages384
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy