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तओ
अव्यय
इसलिए यहाँ से
अव्यय
गमन
इओ गमणं सुहं मित्ताणं
सुखकारी
मित्रों के लिए
पि
भी
कहेइ
कहता है
कल्ले
कल
गमिस्सं
जाऊँगा क्योंकि भोजन में
जओ भोयणे तेल्लं समागयं
तेल
दिया गया है
तया
तब
(गमण) 1/1 (सुह) 1/1 वि (मित्त) 4/2 अव्यय (कह) व 3/1 सक (अम्ह) 1/1 स (कल्ल) 7/1 (गम) भवि 1/1 सक अव्यय (भोयण) 7/1 (तेल्ल) 1/1 (समागय) भूकृ 1/1 अनि अव्यय (त) 1/2 स (मित्त) 1/2 (कह) व 3/2 सक (अम्ह+केर) 6/2 (सासू) 1/1 (विउसी) 1/1 (अस) व 3/1 अक अव्यय (सीयल) 1/1 [(तिल)-(तेल्ल) 1/1] अव्यय [(उयर)+(अग्गि)+ (दीवणेण)] [(उयर)-(अग्गि)-(दीवण) 3/1] (सोहण) 1/1 वि
मित्र
मित्ता कहिंति अम्हकेरा
कहते हैं (कहा) हमारी सासू विदुषी
सासू विउसी अस्थि
तेण
क्योंकि शीतल
तिल का तेल
सीयलं तिलतेल्लं चिअ उयरग्गिदीवणेण
उदर की अग्नि का उद्दीपक होने के कारण
सोहणं
सुन्दर
1.
शौरसेनी रूप है।
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प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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