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एवं मित्ताणं
वयणं
सोच्चा
पभाए
ससुरस्स
अग्गे
गच्छित्ता
सिक्खं
आणं
च
मग्गेइ
ससुरो
वि
तं
सिक्खं
दाऊण
पुणावि
आगच्छेज्जा
एवं
कहिऊण
किंचि
अणुसरिऊण
अणुण्णं दे
एवं
पढमो
जामायरो
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अव्यय
( मित्त) 6/2
( वयण) 2 / 1
( सोच्चा) संकृ अनि
( पभाअ ) 7/1
(ससुर) 6 / 1
अव्यय
(गच्छ) संकृ
(FHONET) 2/1
(आणा) 2 / 1
अव्यय
( मग्ग) व 3 / 1 सक
(ससुर) 1 / 1
अव्यय
(त) 2 / 1 स
(सिक्खा) 2/1
(दा) संकृ
[ ( पुण) + (अविं)] पुण (अ) अवि (अ)
( आगच्छ ) विधि 2 / 1 अक
अव्यय
(कह) संकृ
अव्यय
( अणुसर) संकृ
(अणुण्ण) 2 / 1
(दा) व 3/1 सक
अव्यय
( पढम) 1/1
(जामायर) 1 / 1
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इस प्रकार
मित्रों के
वचन
सुनकर
प्रभात में
ससुर के आगे
जाकर
सीख
आज्ञा
और
माँगता है (माँगी)
ससुर
भी
उसको
सीख
देकर
फिर भी
आना
इस प्रकार
कहकर
कुछ
पीछे जाकर
आज्ञा
देता है (दी)
इस प्रकार
प्रथम
दामाद
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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