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अव्यय
किं कहियं मुणिणा
क्यों कहा गया मुनि के द्वारा
उत्तं
कहा गया
सा
वह
च्चिय
पुच्छिज्जउ जओ विउसीए तीए जहत्थो
(कह) भूकृ 1/1 (मुणि) 3/1 (उत्त) भूक 1/1 अनि (ता) 1/1 स अव्यय (पुच्छ) विधि कर्म 3/1 सक अव्यय (विउसी) 3/1 वि (ती) 3/1 सवि (जहत्थ) 1/1 वि (भाव) 1/1 (नज्जइ) व कर्म 3/1 सक अनि
पूछी जाए क्योंकि विदुषी के द्वारा उस
यथार्थ
भावो
भाव
नज्जइ
जाना जाता है (जाने जाते हैं)
ससुरो
ससुर
गेहं
घर
जाकर
गच्चा पुत्तवहुं पुच्छइ तीए मुणिस्स
पुत्रवधू को पूछता है उसके द्वारा
(ससुर) 1/1 (गेह) 2/1 (गच्चा) संकृ अनि [(पुत्त)-(वहू) 2/1] (पुच्छ) व 3/1 सक (ती) 3/1 स (मुणि) 6/1 अव्यय [(किं) + (एवं)] किं (अव्यय), एवं (अव्यय) (वुत्त) भूकृ 1/1 अनि (अम्ह) 6/1 स (ससुर) 1/1 (जाअ) भूकृ 1/1 अनि
मुनि के
पुरओ
किमेवं
समक्ष क्यों, इस प्रकार
कहा गया
मेरा
ससुरो
ससुर
जाओ
उत्पन्न हुआ
वि
अव्यय
ही
अव्यय
नहीं
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प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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