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________________ कहे पुरवि पुट्ठ कत्थवि गेहे बालाए सह वट्टा कया किं मुणी कहे सा बाला अईव कुसला मम वि परिक्खा कया ती • ho वुत्तो समयं विणा कहं निग्गओ सि 1. 294 ( कह ) व 3 / 1 सक अव्यय (पुट्ठ) भूकृ 1 / 1 अनि अव्यय (गेह) 7/1 (बाला) 3 / 1 अव्यय ( वट्टा ) 1 / 1 ( कय) भूकृ 1 / 1 अनि Jain Education International अव्यय ( मुणि) 1 / 1 ( कह) व 3 / 1 सक (ता) 1 / 1 सवि ( बाला) 1 / 1 अव्यय (कुसल (स्त्री) कुसला) 1 / 1 वि (ती) 3/1 स ( अम्ह ) 6 / 1 स अव्यय (परिक्खा ) 1 / 1 ( कय) भूकृ 1 / 1 अनि (ती) 3 / 1 स ( अम्ह) 1 / 1 स (वृत्त) भूकृ 1 / 1 अनि (समय) 12/1 अव्यय अव्यय (निग्ग) भूकृ 1 / 1 अनि (अस) व 2 / 1 अक बिना के योग में द्वितीया विभक्ति का प्रयोग होता है। For Private & Personal Use Only कहता है फिर पूछा गया किसी भी घर में बाला के साथ वार्ता की गई क्या मुनि 5 कहता है वह बाला अत्यन्त कुशल उसके द्वारा मेरी भी परीक्षा की गई उसके द्वारा कहा गया समय के बिना कैसे निकले प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ www.jainelibrary.org
SR No.002691
Book TitlePrakrit Gadya Padya Saurabh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2009
Total Pages384
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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