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भोत्तूणं हे ससुर
(भोत्तूण) संकृ अनि (ससुर) 8/1 (तुम्ह) 1/1 स (गच्छ) विधि 2/1 सक (ससुर) 1/1 (कह) व 3/1 सक अव्यय
भोजन करके हे ससुर! तुम (आप) जाओ (जाएँ)
गच्छसु ससुरो कहेइ
ससुर
कहता है
जइ
यदि
(अम्ह) 1/1 स
नहीं
जाओ
अव्यय (जाअ) भूकृ 1/1 अनि (अस) व 1/1 अक
उत्पन्न हुआ
हूँ
तब
कैसे
भोजन
चबाता हूँ (चबाऊँगा) खाता हूँ (खाऊँगा) इस प्रकार
इअ
कहकर
दुकान पर
गया
तया
अव्यय कहं
अव्यय भोयणं
(भोयण) 2/1 चव्वेमि
(चव्व) व 1/1 सक भक्खेमि
(भक्ख ) व 1/1 सक
अव्यय कहिऊण
(कह) संकृ
(हट्ट) 7/1 गओ
(गअ) भूकृ 1/1 अनि
(पुत्त) 4/1 सव्वं
(सव्व) 2/1 सवि वुत्तंतं
(वुत्तंत) 2/1 कहेइ
(कह) व 3/1 सक तव
(तुम्ह) 6/1 स पत्ती
(पत्ती) 1/1 दुरायारा
(दुरायार) 1/1 वि असब्भवयणा
[(असब्भ)-(वयण) 1/1 वि] अस्थि
(अस) व 3/1 अक 1. कहने के योग में चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।
पुत्तस्स
पुत्र को
सब
वार्ता
कहता है
तेरी
पत्नी
दुराचारिणी अशिष्ट बोलनेवाली
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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