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आसानी से (लापरवाही से)
सुहेण मुक्खो विणासेइ 3.. गाहाहि
क्रिविअ (मुक्ख) 1/1 वि (विणास) व 3/1 सक
मूर्ख
बिगाड़ देता है
(गाहा) 3/2 (क) 1/1 सवि
गाथा के द्वारा कौन
नहीं
हीरइ पियाण मित्ताण
अव्यय (हीरइ) व कर्म 3/1 सक अनि (पिय) 6/2 वि (मित्त) 6/2
प्रसन्न किया जाता है प्रिय (को) मित्रों को कौन
को
(क) 1/1 सवि
नहीं
संभरइ दूमिज्जइ को
अव्यय (संभर) व 3/1 सक (दूम) व कर्म 3/1 सक (क) 1/1 सवि अव्यय
स्मरण करता है पीडित किया जाता है
कौन नहीं
अव्यय
तथा
दूमिएण
पीडित होने पर
सुयणेण'
(दूम) भूक 3/1 (सुयण) 3/1 (रयण) 3/1 वि
परोपकारी
रयणेण
श्रेष्ठ
4.
प्राकृत काव्य से
पाइयकव्वम्मि रसो
[(पाइय)-(कव्व) 7/1] (रस) 1/1 (ज) 1/1 सवि
स्मरण अर्थ की क्रियाओं के साथ कर्म में षष्ठी होती है। कभी-कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है। (हेम प्राकृत व्याकरण 3-137 की वृद्धि) कभी-कभी पंचमी विभक्ति के स्थान पर सप्तमी विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है। (हेम प्राकृत व्याकरण 3-136)
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प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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