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वणथोवं
अग्गीथोवं कसायथोवं
[(वण)'-(थोवं)] (वण) 1/1 थोवं (अ) [(अग्गी) 1/1-थोवं (अ)] [(कसाय)' 1/1-थोवं (अ)] अव्यय
घाव, थोड़ा सा अग्नि, थोड़ी सी कषाय, थोड़ी सी और
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अव्यय
नहीं
अव्यय
(तुम्ह) 3/1 स (वीसस) विधिकृ 1/1
वीससियव्वं
तुम्हारे द्वारा विश्वास किये जाने योग्य थोड़ा सा
थोवं
अव्यय
अव्यय
अव्यय
क्योंकि
2. GON
(त) 1/1
स
वह
अव्यय (हो) व 3/1 अक
बहुत होता है
12.
माणो
कपट
कोहो (कोह) 1/1
क्रोध पीई (पीइ) 2/1
प्रेम को पणासेड़ (पणास) व 3/1 सक
नष्ट करता है (माण) 1/1
अहंकार विणयनासणो
[(विणय)-(नासण) 1/1 वि] विनय का नाशक माया
(माया) 1/1 मित्ताणि (मित्त) 2/2
मित्रों को नासेइ (नास) व 3/1 सक
नाश करता है
(दूर हटाता है) (लोह) 1/1 कर्ताकारक के स्थान में केवल मूल संज्ञाशब्द भी काम में लाया जा सकता है। (पिशल, प्राकृत भाषाओं का व्याकरण, पृष्ठ-518) छन्द की मात्रा की पूर्ति हेतु अग्गि को ‘अग्गी' किया गया है। यदि एक वाक्य में पुलिंग, स्त्रीलिंग, नपुंसकलिंग शब्द हैं तो सर्वनाम नपुंसक लिंग के अनुसार होगा।
लोभ
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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