________________
जिनवल्लभसूरि-ग्रन्थावलि
वी ज्ञा वि न द ति
ស្រីស្អាប់
॥
(प्रश्नोत्तरैकषष्टि० पद्य ६)
मी
| 5
या न
ना
वा
의외로
(प्रश्नोत्तरेकषष्टि० पद्य १०)
(8) (प्रश्नोत्तरैकषष्टि० पद्य १२)
ना
(अ
(9)] (प्रश्नोत्तरैकषष्टि० पद्य १४)
( 10 ) (प्रश्नोत्तरैकषष्टि० पद्य २०)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org