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मणि पुष्प - ४
प्राकृत भारती पुष्प - 1
जिनवल्लभसूरि-ग्रन्थावलि
[१२वीं शती के महाकवि श्री जिनवल्लभसूरि प्रणीत ४५
कृतियाँ, चित्रकाव्य, विस्तृत भूमिका सहित]
आशीर्वचन : आगमज्ञ मुनिराज श्री जम्बूविजयजी म.
सम्पादक: साहित्यवाचस्पति म० विनयसागर
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