________________
चन्द्रवासचक्र
समयशूलचक्र
पूर्व पश्चिम दक्षिण | उत्तर
पूर्व । प्रातःकाल
मेष | मिथुन| वृष । कर्क
पश्चिम |
सायंकाल
दक्षिण
मध्याह्नकाल
सिंह | तुला कन्या वृश्चिक धनु | कुम्भ मकर मीन
उत्तर ।
अर्धरात्रि
-
पूर्व
दिकाल चक्र दक्षिण
पश्चिम उत्तर । चं.श. ___गु.
सू. शु. मं. ब.
योगिनी चक्र . | पूर्व । आ. द. न. प. । वा. उ. ई. | दिशा | ९१ | ३।११ | १३५ १२।४ | १४।६ | १५१७/ १०२/ ३०८ तिथि
गृहारम्भमुहूर्त
मृगशिर, पुष्य, अनुराधा, धनिष्ठा, शतभिषा, चित्रा, हस्त, स्वाति, रोहिणी, रेवती, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद इन नक्षत्रों में; चन्द्र, बुध, गुरु, शक्र, शनि इन वारों में और द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, त्रयोदशी इन तिथियों में गृहारम्भ श्रेष्ठ होता है । नींव खोदने के लिए दिशा का विचार
देवालय, जलाशय और घर बनाते समय नींव खोदने के लिए दिशा का विचार करना आवश्यक होता है। देवालय की नींव खुदवाने के समय मीन, मेष और वृष का, सूर्य हो तो राहु का मुख ईशानकोण में; मिथुन, कर्क और सिंह में सूर्य हो तो राहु का मुख वायव्यकोण में; कन्या, तुला और वृश्चिक में सूर्य हो तो नैऋत्यकोण में एवं धनु, मकर और कुम्भ में सूर्य हो तो अग्निकोण में राहु का मुख रहता है। गृह बनवाना हो तो सिंह, कन्या और तुला के सूर्य में राहु का मुख ईशानकोण में; वृश्चिक, धनु और मकर के सूर्य में; राहु का मुख वायव्यकोण में; कुम्भ, मीन और मेष राशि के सूर्य में राहु का मुख नैर्ऋत्यकोण में एवं वृष, मिथुन और कर्क राशि के सूर्य में राहु का मुख आग्नेयकोण में रहता है । जलाशय-कुआँ, तालाब खुदवाने के समय मकर, कुम्भ और मीन राशि के सूर्य में राहु का मुख ईशानकोण में; मेष, वृष और मिथुन के सूर्य
पंचम अध्याय
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org