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वश्य बोधक चक्र वर का वश्य
वश्य
कन्या का वश्य
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उदाहरण-पूर्वोक्त इन्दुमती की वृष राशि होने से चतुष्पद वश्य हुआ और चन्द्रवंश की मीन राशि होने से जलचर वश्य हुआ। अतः कोष्ठक में मिलाने से दो गुण आये। तारा विचार
कन्या के नक्षत्र से वर के नक्षत्र तक गिने और वर के नक्षत्र से कन्या के नक्षत्र तक गिने, गिनने से जो आवे उसमें अलग-अलग ९ का भाग देने पर जो शेष बचे उसको ही तारा जानना चाहिए।
तारा गुण-बोधक चक्र
वर की तारा ४ । ५ । ६
कन्या की तारा
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॥
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१. उदाहरण-इन्दुमती का कृत्तिका नक्षत्र है और चन्द्रवंश का रेवती नक्षत्र । कृत्तिका से रेवती तक गिनने से २५ संख्या आयी और रेवती से कृत्तिका तक गिनने से
१. वर और कन्या का जन्म नक्षत्र, नक्षत्रों के चरणों के अक्षरों से मालूम करना चाहिए।
मारतीय ज्योतिष
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