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________________ वर्षेश का फल पूर्ण बलवान् वर्षेश हो तो सुख, धनप्राप्ति, यशलाभ और निर्बल वर्षेश हो तो नाना प्रकार के कष्ट, धनहानि, शारीरिक रोग होते हैं। वर्षेश ६।८।१२वें स्थानों में स्थित हो तो अनिष्ट फल होता है और इन स्थानों से भिन्न स्थानों में स्थित हो तो शुभ फल होता है। __वर्षेश सूर्य का फल-पूर्णबली सूर्य वर्षेश हो तो प्रतिष्ठा-लाभ, धन, पुत्र, यश का लाभ, कुटुम्बियों को सुख, स्वास्थ्यलाभ, शासन से लाभ, मकान-सुख और सुखशान्ति होती है। किन्तु यह फल तभी घटता है जब सूर्य जन्मकाल में भी बलवान् हो; जो ग्रह जन्मसमय में निर्बल होता है, उसका फल मध्यम मिलता है। मध्यमबली सूर्य वर्षेश हो तो अल्पसुख, कलह, स्थानच्युति, भय, अल्प धनलाभ, सन्तान-लाभ और रोगभय होता है । अल्पबली सूर्य वर्षेश हो तो विदेशगमन, धननाश, शोक, शत्रुभय, आलस, अपयश और कलह आदि फल होते हैं । चन्द्रमा-पूर्णबली चन्द्रमा वर्षेश हो तो धन, स्त्री, पुत्र, गृह-विलासिता की सामग्री, नाना प्रकार के वैभव और उच्चपद आदि फलों की प्राप्ति होती है। मध्यबली चन्द्रमा वर्षेश हो तो साधारण सुख, कुटुम्बियों से कलह, सम्मानप्राप्ति, स्थान-त्याग, धनागम और साधारण रोग आदि फल होते हैं। पापग्रह के साथ चन्द्रमा हो तो कफजन्य रोग, कास, ज्वर आदि से पीड़ा होती है। ___ नष्ट या हीनबली चन्द्रमा वर्षेश हो तो शीतज्वर, कफज्वर, खाँसी, मृत्युतुल्य कष्ट और नाना प्रकार की व्याधियाँ होती हैं। मंगल-पूर्णबली और वर्षेश हो तो कीर्ति, जयलाभ, नायकत्व. धनलाभ, पुत्रलाभ, सम्मानप्राप्ति और नाना प्रकार के वैभव प्राप्त होते हैं। मध्यबली भौम वर्षेश हो तो रुधिरविकार, घाव, फोड़ा-फुन्सियों के कष्ट से पीड़ा, सम्मान, नायकत्व, अल्प धनलाभ और साधारण सुख प्राप्त होते है। हीनबली भौम वर्षेश हो तो शत्रुओं से भय, अपवाद, अग्निभय, शस्त्रघात, विदेशगमन और दुराचरण आदि फल मिलते हैं। - बुध-बलवान् बुध वर्षेश हो तो प्रत्युत्पन्नमतित्व, विद्यालाभ, कलाओं में निपुणता, गणित-लेखन-वैद्यविद्या से विशेष सम्मान और शासनाधिकार प्राप्त होते हैं। मध्यबली बुध वर्षेश हो तो व्यापार से लाभ, मित्रों से प्रेम, यश और विद्या में सफलता आदि फल प्राप्त होते हैं । हीनबली बुध वर्षेश हो तो धर्मनाश, उन्मत्तता, धनहानि, पुत्रमृत्यु, दुराचरण और तिरस्कार आदि फल प्राप्त होते हैं। गुरु-पूर्णबली गुरु वर्षेश हो तो शत्रुनाश, सन्तान-धन-कीर्ति का लाभ, लोक में विश्वास, उत्तम बुद्धि, निधिलाभ और राजमान्यता आदि फल होते हैं । मध्यमबली वर्षेश हो तो उपर्युक्त फल मध्यम रूप में मिलता है। हीनबली वर्षेश हो तो धन, धर्म और सौख्य हानि, लोकनिन्दा, कलह और रोग आदि फल होते हैं। शुक्र-पूर्णबली शुक्र वर्षेश हो तो मिष्ठान्न लाभ, विलास की वस्तुओं की प्राप्ति, चतुर्थ अध्यार ४१९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002676
Book TitleBharatiya Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1981
Total Pages562
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size22 MB
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