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________________ उदाहरण-सूर्य ७५ है-अर्थात् वृश्चिक राशि के ५ अंश का है, अतः मंगल के हद्दा में माना जायेगा। चन्द्रमा ६।१६-अर्थात् तुला राशि के १६ अंश है तथा तुला राशि के १६वें अंश से २१वें अंश तक गुरु का हद्दा होता है, अतः चन्द्रमा गुरु के हद्दा में समझा जायेगा। मंगल ७।१७-अर्थात् वृश्चिक राशि के १८ अंश हैं तथा वृश्चिक के १२ अंश से १९वें अंश तक बुध का हद्दा होता है अतः मंगल बुध के हद्दा में समझा जायेगा। इसी प्रकार बुध मंगल के हद्दा में, गुरु शुक्र के हद्दा में, शुक्र बुध के हद्दा में, शनि शुक्र के हद्दा में, राहु शनि के हद्दा में और केतु गुरु के हद्दा में माना जायेगा । प्रस्तुत उदाहरण का हद्देश चक्र निम्न प्रकार है सूर्य | चन्द्र भौम बुध गुरु शुक्र शनि, राहु केतु | ग्रह मंगल गुरु बुध मंगल शुक्र | बुध | शुक्र शनि | गुरु हद्देश उच्चबल साधन द्वितीय अध्याय में उच्चबल साधन की जो प्रक्रिया बतायी गयी है, उससे प्रत्येक ग्रह का उच्चबल निकाल लेना चाहिए। जो कलात्मक उच्चबल आये उसमें तीन का भाग देने से ताजिक का उच्चबल आ जाता है। उदाहरण में पहले सूर्य का उच्चबल ५९।२९ आया है। अतएव-५९।२९ : ३ = १९।५० यह वर्षपत्र के लिए उच्चबल हुआ। सारणी द्वारा उच्चबल साधन जिस ग्रह का उच्चबल साधन करना हो उसकी उच्चबल साधनसारणी में राशि के सामने और अंश के नीचे जो फल लिखा हो उसे ग्रहण कर लेना चाहिए । कला, विकला के फल के लिए आगे और पीछे के अंशों का अन्तर करने से जो आये, उससे कला, विकला को गुणा कर ६० का भाग देने से कला, विकला का फल आ जाता है; दोनों फलों का योग करने से उच्चबल हो जाता है। उदाहरण-वर्षप्रवेशकालीन सूर्य ७।५।४१।४१ है, सूर्य उच्चबल साधन सारणी में सात राशि के सामने और पाँच अंश के नीचे २।४६ दिया है, कला-विकला का फल निकालने के लिए पाँच अंश और छह अंशवाले कोष्ठक का अन्तर किया-२५३ २०४६ चतुर्थ अध्याय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002676
Book TitleBharatiya Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1981
Total Pages562
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size22 MB
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