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________________ उदाहरण -- गत वर्ष संख्या ३४ + १ आया । अभीष्ट कुण्डली की लग्नराशि मकर है, गणना करने पर वृश्चिक राशि मुन्था की आयी । मुन्था साधन का अन्य नियम जन्मलग्न में गतवर्ष की संख्या को जोड़कर १२ का भाग देने से शेष तुल्य मुन्थालग्न होता है । उदाहरण - ९।३।१०।९ जन्मलग्न १० ४३।३।१०।० योगफल संख्या ४३।३।१०।० ÷ १२ = २ लब्धि और शेष ७|३|१०|० अर्थात् वृश्चिक राशि मुन्थालग्न हुई— 22 ३४|०|०|० गतवर्ष संख्या र्छ ११ चतुर्थ अध्याय ३।२७।१५।५६ दशम भाव El 01 01 0 Jain Education International ९।२७।१५/५६ चतुर्थ भाव में से ६।२३।५११३८ लग्न को चटाया ३।३।२४। १८ ÷ ६ मुन्याकुण्डली चक्र ३५ ÷ १२ = २ लब्धि और शेष ११ अतएव मकर से आगे ११ राशियों की = 2 १ भावस्पष्ट - इस गणित की विधि जन्मकुण्डली के गणित में विस्तार से प्रतिपादित की गयी है । यहाँ पर सिर्फ़ 'लग्न के दशम भावसाधन सारणी' द्वारा वर्ष लग्न के राशि, अंशों का फल लेकर दशम भाव का साधन किया जा रहा है । वर्षलग्न ६।२३।५१।३८ है, इसका फल उक्त सारणी में ३।२७।१५ ३५६ दशम भाव का लग्न मिला । ५. ३ ६ For Private & Personal Use Only Jo ४ ४०७ www.jainelibrary.org
SR No.002676
Book TitleBharatiya Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1981
Total Pages562
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size22 MB
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