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६५/६६/६७/६८/६९/७०७१/७२|७३/७४/७५/७६/७७/७८/७९८० |४६ ०१ २ ४, ५, ६, ०१ २, ३, ४, ५ ० १२ ४९/ ४२०३५/५१ ६२२३७५३ ८२४३९५५,१०२६४२ |७३९१०४२१३४५/१६४८.१९५१२२५०२५५७२८ : ३०. ०.३० ०/३०/०३००३०/०३०, ०३००३०० ८१८२८३८४/८५/८६८७८८/८९९०९१९२/९३९४९५/९६ | ३| ५/६/ ० १ ३, ४, ५ ० १ २ ३५६ ०१ ५७१३ २८/४४५९१५३०४६ ११७३२४८, ३/१९३४५० ३१/३/३४ ६३७ ९४० १२४३/१५४६१८/४९/२१ ५२२४ ३० ०३० ०३० ०३००३० ०/३० ०३० ३००
वर्षप्रवेश की तिथि का साधन
गतवर्ष की संख्या को ११ से गुणा करके दो स्थानों में रखें। प्रथम स्थान को राशि में १७० का भाग देने से जो लब्धि आवे उसे द्वितीय स्थान की राशि में जोड़ दें। इस योगफल में जन्मकालिक तिथि को शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से गिनने पर जो संख्या हो उसे भी जोड़कर ३० का भाग दें। जो शेष बचे, शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से गिनने पर उस संख्यक तिथि में वर्षप्रवेश जानना चाहिए। पहले निकाले गये वार में यह तिथि प्रायः मिल जाती है, लेकिन कभी-कभी एक तिथि का अन्तर भी पड़ जाता है। जब-जब अन्तर आवे उस समय वार को ही प्रधान मानकर उस वार की तिथि को ग्रहण करना चाहिए ।
उदाहरण-गतवर्ष संख्या ३४ है । ३४४ ११ = ३७४
३७४ १७० =२ लब्धि और शेष ३४; ३७४ + २ = ३७६, इसमें जन्मतिथि की संख्या अभीष्ट उदाहरण के अनुसार शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से गिनकर १२ जोड़ दी।
अतः ३७६ + १२ = ३८८: ३० = १२ लब्धि, शेष २८ । शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से २८ संख्या तक तिथि गणना की तो यह संख्या-२८वीं संख्या कृष्णपक्ष की त्रयोदशी को आयी। अतः वर्षप्रवेश प्रस्तुत उदाहरण का मार्गशीर्ष वदी १३ बृहस्पतिवार को ५७ घटी ३ पल इष्टकाल पर माना जायेगा। वर्षप्रवेश के तिथि, नक्षत्र, वार आदि जानने की एक सरल विधि
__ ज्योतिष-शास्त्र में वर्षप्रवेशकालीन तिथि, वार निकालने का एक सरल नियम यह भी बताया गया है कि जन्मकाल का सूर्य और वर्षप्रवेशकाल की सूर्य राशि, अंशादि में समान होता है। जिस दिन उस संवत् में जन्मकालीन सूर्य के राशि, अंशादि मिल
मारतीय ज्योतिष
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