________________
जातक को धन, जन, सवारी,
।
धन, कन्या सुख की प्राप्ति; मिथुन में हो तो काव्य-प्रेम, प्रसन्नता, धनलाभ, परदेशगमन, व्यवसाय में उन्नति; कर्क में हो तो उद्यम से धनलाभ, आभूषणलाभ, स्त्रियों से विशेष प्रेम सिंह में हो तो साधारण आर्थिक कष्ट, स्त्री द्वारा धनलाभ, पुत्रहानि, पशुओं से लाभ; कन्या में हो तो आर्थिक कष्ट, दुखी, परदेशगमन, स्त्री- पुत्र से विरोध; तुला में हो तो ख्यातिलाभ, भ्रमण, अपमान वृश्चिक में हो तो प्रताप, क्लेश, धनलाभ, सुख, चिन्ता; धनु में हो तो काव्यप्रेम, प्रतिभा का विकास, राज्य से सम्मान लाभ, पुत्रों से स्नेह; मकर में हो तो चिन्ता, कष्ट, वात-कफ के रोग; कुम्भ में हो तो व्यसन, रोग, कष्ट, धनहानि और मीन में हो तो राजा से धनलाभ, व्यापार से लाभ, कारोबार की वृद्धि, नेतागिरी आदि फलों की प्राप्ति होती है । शनि दशाफले — बलवान् शनि की दशा में प्रताप, भ्रमण, कीर्ति, रोग आदि फल प्राप्त होते हैं मेष राशि में शनि हो तो शनि की दशा में स्वतन्त्रता, प्रवास, मर्मस्थान में रोग, चर्मरोग, बन्धु बान्धव से वियोग ; वृष में हो तो निरुद्यम, वायुपीड़ा, कलह, वमन, दस्त के रोग, राजा से सम्मान, विजयलाभ; मिथुन में हो तो ऋण, कष्ट, चिन्ता, परतन्त्रता; कर्क में हो तो नेत्र - कान के रोग, बन्धुवियोग, विपत्ति, दरिद्रता; सिंह में हो तो रोग, कलह, आर्थिक कष्ट; कन्या में हो तो मकान का निर्माण करना, भूमिलाभ, सुखी होना; तुला में हो तो धन-धान्य का लाभ, विजय- लाभ, विलास, भोगोपभोग वस्तुओं की प्राप्ति; वृश्चिक में हो तो भ्रमण, कृपणता, नीच संगति, साधारण आर्थिक कष्ट; धनु में हो तो राजा से सम्मान, जनता में ख्याति, आनन्द, प्रसन्नता, यशलाभ; मकर में हो तो आर्थिक संकट, विश्वासघात, बुरे व्यक्तियों का साथ कुम्भ में हो तो पुत्र, धन, स्त्री का लाभ, सुखलाभ, कोर्ति, विजय और मीन में हो तो अधिकार प्राप्ति, सुख, सम्मान, स्वास्थ्य, उन्नति आदि फलों की प्राप्ति होती है ।
राहु दशाफले – मेष राशि में राहु हो तो उसकी दशा में अर्थलाभ, साधारण सफलता, घरेलू झगड़े, भाई से विरोध; वृष में हो तो राज्य से लाभ, अधिकारप्राप्ति, कष्टसहिष्णुता, सफलता; मिथुन में हो तो दशा के प्रारम्भ में कष्ट, मध्य में सुख; कर्क में हो तो अर्थलाभ, पुत्रलाभ; नवीन कार्य करना, धन संचित करना; सिंह में हो तो प्रेम, ईर्ष्या, रोग, सम्मान, कार्यों में सफलता; कन्या में हो तो मध्यवर्ग के लोगों से लाभ, व्यापार से लाभ, व्यसनों से हानि, नीच कार्यों से प्रेम, सन्तोष; तुला राशि का हो तो झंझट, अचानक कष्ट, बन्धु बान्धवों से क्लेश, धनलाभ, यश और प्रतिष्ठा की वृद्धि; वृश्चिक राशि का राहु हो तो आर्थिक कष्ट, शत्रुओं से हानि, नीचकार्यरत; धनु का हो तो यशलाभ, धारासभाओं में प्रतिष्ठा, उच्चपद प्राप्ति; वातरोग, आर्थिक संकट; कुम्भ का हो तो धनलाभ, १. बृहत्पाराशरहोरा, दशाफलाध्याय, श्लो. ५२-६० । २. वही, श्लो. ७१-७७ ।
मकर का राहु हो तो सिर में रोग, व्यापार से साधारण लाभ, विजय
३०१
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
भारतीय ज्योतिष
www.jainelibrary.org