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________________ उदाहरण-दूसरे अध्याय में जो उदाहरण-कुण्डली लिखी गयी है उसकी आयुकेन्द्रांक ५+८+ ११+२= २६ त्रिकोणांक केन्द्रस्थग्रहांक २ त्रिकोणस्थग्रहांक ४+ १ = ५ २६ + १०+२+५= ४३ । ४३४१२ - ५१ = ५१० x-१२ =३३ =७२।३.४३०, ६ ५११७६ १२।०1० ३९।७।६ आयुमान हुआ। नक्षत्रायु जन्मनक्षत्र की भुक्त घटियों को ४ से गुणा कर ३ का भाग देने से जो लब्ध आये उसे १०० वर्ष में से घटाने से नक्षत्रायु आती है। उदाहरण-भुक्तनक्षत्र १२।१० है । १२।१०x४ = ४८४४०३ = ४८१ = ४: + 3 =.x3 = १४५ = १६३ x १२ = = २३ x ३० = २० १६।२।२० को १०० वर्ष में से घटाया १००० १६।२।२० ८३।९।१० नक्षत्रस्पष्टायु हुई । प्रहरश्मियों द्वारा आयु साधन सूर्य का रश्मि गुणांक १०, चन्द्र का ११, मंगल का ५, बुध का ५, गुरु का ७, शुक्र का ८ और शनि का ५ रश्मि गुणांक है । ग्रह में से अपने-अपने उच्च को घटाना, शेष छह राशि से कम हो तो उसे १२ राशियों में से घटाने पर जो शेष रहे उसकी कला बनाकर अपने गुणांक से गुणा करना चाहिए। जो गुणनफल आवे उसमें २१६०० का भाग देने पर ग्रह की रश्मिज आयु आती है। इस विधि से समस्त ग्रहों की रश्मिज आयु का साधन कर लेना चाहिए । जो ग्रह स्वगृही, उच्चराशि, मित्रक्षेत्री और वक्री होनेवाला हो उसके वर्षों को द्विगुणित कर लेना चाहिए। वक्री और अस्तंगत ग्रह के वर्षों का आधा करने पर ग्रह ३६० भारतीय ज्योतिष Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002676
Book TitleBharatiya Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1981
Total Pages562
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size22 MB
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