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________________ शारीरिक प्रभाव डालता है और विभिन्न अंगों तथा उनके कार्यों में सुधार करता है। वस्तु-जगत् से सम्बन्ध रखनेवाले पिछले मस्तिष्क पर इसका प्रभाव पड़ता है । बाह्य जगत् की वस्तुओं द्वारा जो क्रियाएँ होती हैं, उनका इससे विशेष सम्बन्ध है। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि चन्द्रमा स्थूल शरीरगत चेतना के ऊपर प्रभाव डालता है तथा मस्तिष्क में उत्पन्न होनेवाले परिवर्तनशील भावों का प्रतिनिधि है । - अनात्मिक दृष्टिकोण की अपेक्षा से यह श्वेत रंग, जहाज, बन्दरगाह, मछली, जल, तरल पदार्थ, नर्स, दासी, भोजन, रजत एवं बैंगनी रंग के पदार्थों पर प्रभाव डालता है। - आत्मिक दृष्टिकोण की अपेक्षा से--यह संवेदन, आन्तरिक इच्छा, उतावलापन, भावना, विशेषतः घरेलू जीवन की भावना, कल्पना, सतर्कता एवं लाभेच्छा पर प्रभाव डालता है। शारीरिक दृष्टिकोण की अपेक्षा से इसका पेट, पाचनशक्ति, आँतें, स्तन, गर्भाशय, योनिस्थान, आँख एवं नारी के समस्त गुप्तांगों पर प्रभाव पड़ता है। ४. आन्तरिक व्यक्तित्व के प्रथम रूप का प्रतीक शुक्र है, यह सूक्ष्म मानव चेतनाओं की विधेय क्रियाओं का प्रतिनिधित्व करता है। पूर्णबली शुक्र निःस्वार्थ प्रेम के साथ प्राणीमात्र के प्रति भ्रातृत्व-भावना का विकास करता है। अनात्मिक दृष्टिकोण की अपेक्षा से—इसका सुन्दर वस्तुएँ, आभूषण, आनन्ददायक चीजें-नाच, गान, वाद्य, सजावट की चीजें, कलात्मक वस्तुएँ एवं भोगोपभोग की सामग्री आदि पर प्रभाव पड़ता है। आत्मिक दृष्टिकोण की अपेक्षा से--स्नेह, सौन्दर्य-ज्ञान, आराम, आनन्द-विशेष प्रेम, स्वच्छता, परख-बुद्धि, कार्यक्षमता आदि पर इसका प्रभाव पड़ता है। शारीरिक दृष्टिकोण से-गला, गुरदा, आकृति, वर्ण, केश-जहाँ तक सौन्दर्य से सम्बन्ध है, साधारणतः शरीर-संचालित करनेवाले अंग एवं लिंग आदि पर इसका प्रभाव पड़ता है। ५. आन्तरिक व्यक्तित्व के द्वितीय रूप का प्रतिनिधि बुध है। यह प्रधान रूप से आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है। इसके द्वारा आन्तरिक प्रेरणा, सहेतुकनिर्णयात्मक बुद्धि, वस्तु-परीक्षण-शक्ति, समझ और बुद्धिमानी आदि का विश्लेषण किया जाता है । इस प्रतीक में विशेषता यह रहती है कि गम्भीरतापूर्वक किये गये विचारों का विश्लेषण बड़ी खूबी से करता है। ___ अनात्मिक दृष्टिकोण से-स्कूल, कॉलेज का शिक्षण, विज्ञान, वैज्ञानिक और साहित्यिक स्थान, प्रकाशन-स्थान, सम्पादक, लेखक, प्रकाशक, पोस्ट-मास्टर, व्यापारी एवं बुद्धिजीवियों पर इसका विशेष प्रभाव पड़ता है। पीले रंग और पारा धातु पर भी यह अपना प्रभाव डालता है। को आत्मिक दृष्टिकोण से—यह समझ, स्मरण शक्ति, खण्डन-मण्डन शक्ति, सूक्ष्म मारतीय ज्योतिष Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002676
Book TitleBharatiya Jyotish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1981
Total Pages562
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size22 MB
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