________________
के समान गतिवाला, चौड़ी छातीवाला, लम्बा और मोटा होता है। इसको बुद्धि प्रखर होती है । और धन एवं यश की प्राप्ति होती है । यथा
/R\5)/9
१२गुत्र
हंस योग
जिस जातक की कुण्डली में बलवान् गुरु मूल-त्रिकोण, स्वगृह, उच्चगृह को प्राप्त होकर केन्द्र में स्थित हो तो हंस योग होता है। इस योग में उत्पन्न होनेवाला जातक लाल मुख, ऊँची नासिका, सुन्दर चरण, हंस स्वर, कफ प्रकृति, गौरांग, सुकुमार, स्त्रीयुक्त, कामदेव के तुल्य सुन्दर, सुखी, शास्त्रज्ञान में परायण, अत्यन्त निपुण, गुणी, अच्छी क्रियाओं का आचरण करनेवाला और दीर्घायु होता है । यथा
2
१लगX११
१०श.
मालव्य योग
यदि जातक की जन्म कुण्डली में शुक्र, मूल-त्रिकोण, स्वगृह, उच्चगृह को प्राप्त होकर केन्द्र में अवस्थित हो तो मालव्य योग होता है। इस योग में उत्पन्न प्राणी स्त्रीस्वभाववाला, सुन्दर शरीर की सन्धि और नेत्रवाला, सुन्दर, गुणी, तेजस्वी, पुत्र, स्त्री, वाहनयुक्त, धनी, शास्त्रार्थ का पण्डित, उत्साही, प्रभु-शक्ति-सम्पन्न, मन्त्रज्ञ, चतुर, त्यागी, परस्त्रीरत एवं विवेकी होता है। इसकी आयु ७७ वर्ष की होती है। यह चुनाव में तृतीयाध्याय
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org