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महाराज योग
लग्नेश पंचम में और पंचमेश लग्न में हो, आत्मकारक और पुत्रकारक दोनों लग्न या पंचम में हों; अपने उच्च, राशि या नवांश में तथा शुभग्रह से दृष्ट हों तो महाराज योग होता है। इस योग में जन्म लेनेवाला व्यक्ति निश्चयतः राज्यपाल या मुख्यमन्त्री होता है।
घन-सुख योग
दिन में जन्म होने पर चन्द्रमा अपने या अधिमित्र के नवांश में स्थित हो और उसे गुरु देखता हो तो धन-सुख योग होता है। इसी प्रकार रात्रि में जन्म होने पर चन्द्रमा को शुक्र देखता हो तो धन-सुख योग होता है । यह नामानुसार फल देता है। विशिष्ट योग
जिसके जन्मकाल में बुध सूर्य के साथ अस्त होकर भी अपने गृह में हो अथवा अपने मूलत्रिकोण ( षष्ठराशि ) में हो तो जातक विशिष्ट विद्वान् होता है । यथा
जिसके जन्म-समय में सूर्य और बुध सुख स्थान ( चतुर्थ स्थान ) में हों। शनि और चन्द्रमा दशम स्थान में स्थित हों और मंगल लग्न में स्थित हो तो जातक विशिष्ट विद्वान् होता है, साथ ही किसी उच्चपद पर कार्य करता है । यथा
सू. बु.Xच.शत्र
जिसके जन्म-समय में शुक्र के नवांश से रहित सिंह का सूर्य लग्न में हो । कन्या में बुध स्थित हो तो जातक अत्यन्त शक्तिशाली होता है और किसी उच्चपद तृतीयाध्याय
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